Friday, 24 March 2017

मनरेगा : ग्रामीण परिवारों की जीवनरेखा

           महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) ने अपनी स्थापना के बाद से अब तक एक लंबा सफर तय कर लिया है। यह लाखों लोगों के लिए एक जीवनरेखा बन गया है।

            इस अधिनियम को 7 सितंबर 2005 को अधिसूचित किया गया था ताकि प्रत्येक ग्रामीण परिवार को एक वर्ष में कम से कम 100 दिन का रोजगार प्रदान किया जा सके, जिनके वयस्क सदस्य अकुशल दस्‍ती काम कर सकते थे। सामाजिक समावेश, लिंग समानता, सामाजिक सुरक्षा और न्यायसंगत विकास महात्मा गांधी नरेगा के संस्थापक स्तंभ हैं। वर्ष 2015-16 के दौरान, 235 करोड़ दिवस पैदा किए गए, जोकि पिछले पांच वर्षों की तुलना में सबसे ज्‍यादा था। वर्ष 2016-17 के दौरान 4.8 करोड़ परिवारों को 142.64 लाख कार्य-क्षेत्रों में रोजगार दिए गए।

             इस प्रक्रिया में रोजगार के 200 करोड़ दिवस पैदा किए गए। कुल रोजगार का 56 प्रतिशत हिस्‍सा महिलाओं के लिए पैदा किया गया। इस कार्यक्रम की शुरुआत के बाद से अब तक महिलाओं की यह भागीदारी सबसे ज्‍यादा है। इस कार्यक्रम के लिए अब तक 3,76,546 करोड़ रुपए दिए गए हैं। वित्‍त वर्ष 2017-18 के लिए 48,000 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं, जोकि मनरेगा के लिए अभी तक आवंटित राशियों में सबसे अधिक है। वर्ष 2016-17 में 51,902 करोड़ रुपए खर्च किए गए जोकि इसकी शुरुआत के बाद से अब तक का सबसे अधिक खर्च है। औसतन हर साल (वित्‍त वर्ष 2013-14 तक) 25 से 30 लाख कार्य पूरे किए गए थे, वहीं मौजूदा वित्‍त वर्ष 2016-17 में 51.3 लाख काम पूरे किए गए।

             इस कार्यक्रम की शुरुआत के बाद पहली बार, जल संरक्षण के लिए समेकित दिशानिर्देश तैयार किए गए। मिशन जल संरक्षण - प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) और इंटीग्रेटेड वाटरशेड मैनेजमेंट प्रोग्राम (आईडब्ल्यूएमपी) के साथ मिलकर मनरेगा के तहत प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन (एनआरएम) संबंधित कार्यों के लिए योजना और निगरानी फ्रेमवर्क तैयार किया गया है। इनके लिए वैज्ञानिक नियोजन और नवीनतम प्रौद्योगिकी का उपयोग करके जल प्रबंधन का निष्पादन ही मंत्रालय का मुख्‍य ध्‍येय है। वित्‍त वर्ष 2016-17 में कुल खर्च का 63 प्रतिशत हिस्‍सा एनआरएम (प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन) कार्यों पर खर्च किए गए। वित्‍त वर्ष 2016-17 में कृषि और संबंधित क्षेत्रों के कार्यों पर लगभग 70 प्रतिशत खर्च किया गया, जोकि वित्‍त वर्ष 2013-14 में सिर्फ लगभग 48 प्रतिशत था। भू-मनरेगा तो एक पथप्रदर्शक पहल है, जो बेहतर नियोजन, प्रभावी निगरानी, बढ़ी हुई दृश्यता और अधिक पारदर्शिता के लिए मनरेगा के तहत बनाई गई सभी संपत्तियों को भू-टैगिंग के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग करती है। 

              इस पहल की शुरुआत वित्‍त वर्ष 2016-17 में की गई। लगभग 65 लाख संपत्तियों को भू-टैग किया गया। इसे पब्लिक डोमेन में लाया गया। निधि प्रवाह तंत्र के बेरोकटोक चलने और मजदूरी के भुगतान में देरी को कम करने के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय ने 21 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश में राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक फंड मैनेजमेंट सिस्टम (एनईएफएमएस) लागू किया है। इलेक्ट्रॉनिक फंड मैनेजमेंट सिस्टम (ईएफएमएस) के द्वारा एमजीएनआरईजीए के कर्मचारियों के बैंक/डाकघर खातों में मजदूरी का लगभग 96 प्रतिशत हिस्‍सा इलेक्ट्रॉनिक रूप से भुगतान किया जा रहा है। 

              वित्त वर्ष 2013-14 में मजदूरी का सिर्फ 37 प्रतिशत भुगतान इलेक्ट्रॉनिक रूप से किया गया था। अभी 8.9 करोड़ सक्रिय मजदूरों के एनआरईजीएसोफ्ट-एमआईएस में आधार संख्या दर्ज है, जबकि जनवरी 2014 में यह संख्या मात्र 76 लाख थी। अब तक 4.25 करोड़ मजदूरों को आधार आधारित भुगतान प्रणाली (एबीपीएस) के लिए सक्षम किया गया है। वित्‍त वर्ष 2016-17 के दौरान जॉब कार्ड सत्‍यापन और अद्यतन प्रक्रिया शुरू की गई थी। अभियान के रूप में चलाकर 75 प्रतिशत सक्रिय जॉब कार्डों का सत्‍यापन किया गया। वर्ष 2016-17 के लिए पहले जारी किए गए 1039 परिपत्रों/परामर्शों और वार्षिक मास्टर परिपत्र (एएमसी) जारी करके मनरेगा को सरल बनाने के लिए पहल की गई। वित्‍त वर्ष 2017-18 के लिए एएमसी जारी किया जाएगा। 

                 ग्राम पंचायत स्तर पर रजिस्टरों की संख्या में कमी करने के लिए औसतन 22 रजिस्टरों की तुलना में 7 सरल रजिस्टरों की प्रक्रिया लागू की गई है। अब तक, 2.05 लाख ग्राम पंचायतों ने इसे अपना लिया है। यह कार्यक्रम सामाजिक ऑडिट और आंतरिक लेखा परीक्षा की एक अधिक स्वतंत्र और सशक्त प्रणाली की दिशा में आगे बढ़ रहा है, ताकि महिला एसएचजी से लिए गए सामाजिक लेखा परीक्षकों के एक प्रशिक्षित सामुदायिक काडरों के द्वारा जवाबदेही के साथ-सा‍थ विकास भी सुनिश्चित किया जा सके। मंत्रालय ने अंतरराज्‍यीय आदान-प्रदान कार्यक्रम की शुरुआत की है, जिससे विचारों और पद्धतियों को साझा किया जा सके। 2016-17 के दौरान अब तक, तमिलनाडु, राजस्थान, मेघालय, झारखंड, आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ राज्यों ने इस पहल को लागू किया है। 

           पहली बार, बुनियादी स्‍तर पर पीएमजीएसवाई दिशानिर्देशों के आधार पर गैर-पीएमजीएसवाई सड़कों के लिए दिशानिर्देश बनाए गए हैं। इन संपत्तियों के भविष्‍य में पीएमजीएसवाई मानकों के स्‍तर तक की गुणवत्‍ता की संभावना होगी।

Wednesday, 8 March 2017

महिलाएं परिवर्तन की वाहक

           राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर नारी शक्ति पुरुस्कार प्रदान किए। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर मुझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है।

            भारत में हम अपने दैनिक जीवन में अनेक तरीकों से अपनी महिलाओं को स्वीकार करते है। याद करते है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर हम समाज के प्रति महिलाओं के निःस्वार्थ उपहार के लिए उन्हें विश्व द्वारा नमन करने में शामिल हो रहे है। नारी शक्ति पुरुस्कार प्राप्त करने वाली महिलाओं और संगठनों को बधाई देता हूं। उन्होंने चुनौतियों को स्वीकार करके तथा उच्च आकांक्षाओं को पूरा करने का उत्कृष्ठ कार्य किया है। प्रत्येक सफलता के पीछे संकल्प और दृढ़ता की कहानी होती है। 

          प्रत्येक सफलता हजारों अन्य महिलाओं के प्रयासों का प्रतिनिधित्व करती है। इनका समान रूप से आदार किया जाना चाहिए। भारत के स्वतंत्र गणराज्य बनने से पहले अपने देश में महिलाओं की सशक्तिकरण पर विचार-विमर्श शुरू हुआ। हमारे संविधान और नीति निर्देशक तत्वों में नीति और नियोजन के लिए सरकार को स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए गए है। महिलाएं अब केवल कल्याण लाभों को प्राप्त करने वाली नहीं बल्कि समान अधिकार, समान सहभागी और देश की सामाजिक-आर्थिक, सांस्कृतिक तथा राजनीतिक प्रक्रियाओं में परिवर्तन की वाहक के रूप में मान्य दी जाती हैं। 

            राजनीतिक क्षेत्र में महिलाओं का प्रयास सराहनीय रहा है। उन्होंने सामाजिक और आर्थिक असमानता को कम करने में प्रभावी रूप से योगदान दिया है। निःस्वार्थ भाव से विकास तथा राष्ट्र निर्माण के लक्ष्यों के लिए कार्य कर रही है। स्थानीय स्वशासन के क्षेत्र में ग्रामीण भारत में एक मिलियन से अधिक, निर्धारित 33 प्रतिशत से अधिक- महिलाओं ने अधिकार प्राप्त किए हैं। प्रभावी रूप से अपने दायित्व को निभा रही हैं। रक्षा सेवाओं, पुलिस तथा सुरक्षा बलों, खेल, शिक्षा, अंतरिक्ष अनुसंधान और नवाचार जैसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में महिलाएं कमजोर और शोषित लोगों के लिए काम कर रही हैं, समुदाय तक पहुंच रही है। 

           स्वास्थ्य कार्यक्रमों में भागीदारी कर रही हैं। अच्छे टीम कार्य और सफलता के लिए महिलाएं अपरिहार्य हैं। हमें यह स्वीकार करना होगा कि प्रायः महिलाओं के साथ भेदभाव किया जाता है। लेकिन वास्तविकता यह है कि महिलाएं ऐसी कठिनाइय़ों को पार कर जाती है और प्रेरित करती हैं। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर यह दोहराना आवश्यक है कि प्रत्येक लड़की और महिला को यह आवश्स्त किया जाना चाहिए कि भारत सरकार उन्हें ऐसा सक्षम वातावरण उपलब्ध कराने के लिए संकल्पबद्ध है, जिसमें उन्हें को बराबरी का अवसर मिले। महिलाओं को आत्मविश्वासी महसूस होना चाहिए, उन्हें यह विश्वास होना चाहिए कि जिस क्षेत्र को वह चुनती हैं उन क्षेत्रों में वह उच्च आकांक्षाओं की पूर्ति कर सकती है। 

             देश के अनेक हिस्सों में बाल लिंग अनुपात में गिरावट को देखते हुए प्रधानमंत्री का ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान लांच किया गया है। यह अभियान इस तरह बनाया गया है ताकि देश के प्रत्येक हिस्सें में लड़की प्राथमिक शिक्षा में नामांकन के लिए प्रेरित हो सके। इस कार्यक्रम के अंतर्गत 2015 तक देश के 100 जिलों को चुना गया। 2016 में इसमें 61 अतिरिक्त जिले जोड़े गए। सरकार महिलाओं के प्रति बढ़ रही हिंसा को लेकर चिंतित है। यह अक्षमय बात है कि भारत में महिला उतनी सुरक्षित महसूस नहीं करतीं, जितनी सुरक्षा होनी चाहिए।  

               राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा, आधुनिक भारत में लैंगिंक असमानता और भेदभाव के लिए कोई स्थान नहीं है। भारत का प्रमुख लक्ष्य समावेशी विकास है। इस बारे में स्कूलों और कॉलेजों में बच्चों को संवेदी बनाने से महिलाओं को उचित सम्मान मिलेगा। यह कार्य हमारे ग्रामीण और शहरी आबादी के बीच उचित उपायों के जरिए और समेकित सरकारी कार्यक्रमों के माध्यम से पूरा किया जाना चाहिए। इसमें कोई संदेह नहीं कि महिलाओं में अनेक कार्य संपन्न करने की आपार क्षमता होती है। अपने परिवारों तथा घरों से लेकर खेतों, व्यवसायों और विभिन्न कार्यों में महिलाओं का संकल्प किसी से कम नहीं है। गुरुदेव रविन्द्रनाथ टैगोर की कृति घरे बायरे में पढ़ी हुई पंक्ति मुझे याद आती है कि, ‘हम महिलाएं घर के चिराग की केवल देवियां नहीं, बल्कि इसकी ज्योति और आत्मा है।’ 

            महिलाओं को आदार देते समय यह पंक्तियां हमारे दिमाग में होनी चाहिए। यह कठिन नहीं है क्योंकि यह बुनियादी मूल्य हमारी महान विरासत का हिस्सा रहे हैं। हमारी चेतना में हैं। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर हमें इन बुनियादी मूल्यों की रक्षा और प्रसार के प्रति अपने आप को समर्पित करना चाहिए। इन शब्दों के साथ मैं एक बार फिर नारी शक्ति पुरुस्कार विजेताओं को बधाई देता हूं। उनके प्रयासों में सफलता की कामना करता हूं। महिला और बाल विकास मंत्री श्रीमती मेनका संजय गांधी को इन पुरुस्कारों के गठन के लिए मैं हृदय से धन्यवाद देता हूं। यह पुरुस्कार महिलाओं के सशक्तिकरण और अपने देश की प्रगति के लिए व्यक्तियों, संस्थानों और संगठनों को छोटा-बड़ा योगदान करने के लिए प्रेरित करेगे।

Monday, 6 March 2017

महिला सशक्तिकरण, मुक्ति व समानता महत्वपूर्ण

            सूचना व प्रसारण मंत्री वैंकेया नायडू ने कहा कि देश के विकास में महिलाओँ की भूमिका को परिभाषित करने के तीन महत्वपूर्ण तत्व हैं। 

सूचना व प्रसारण मंत्री वैंकेया नायडू ने कहा कि  महिला सशक्तिकरण, मुक्ति तथा समानता। सरकार विभिन्न उपायों के जरिए महिलाओं और लड़कियों के लिए समान अधिकार और अवसर उपलब्ध कराने के प्रति संकल्पबद्ध है। साथ-साथ सूचना और प्रसारण मंत्री ने फिल्मों में महिलाओं को घिसेपीटे और पारंपरिक रूप से दिखाने पर चिंता व्यक्त की। वैंकेया नायडू तेजस्विनी धारावाही की 100वीं कड़ी पूरी होने पर दूरदर्शन समाचार द्वारा आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे। 

                  इस अवसर पर सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री कर्नल राज्यवर्धन राठौर भी उपस्थित थे। नायडू ने महिलाओं और लड़कियों से संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए सरकार द्वारा किए गए विभिन्न उपायों की चर्चा की। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम का उद्देश्य व्यवहार में परिवर्तन लाना और महिलाओँ की भूमिका के बारे में लोगों की सोच को बदलना है। सुकन्या समृद्धि योजना हमारी बेटियों को वित्तीय सुरक्षा उपलब्ध कराती है। प्रधानमंत्री द्वारा मन की बात के माध्यम से लाँन्च किया गया। सेल्फी विद डॉटर्स अभियान पूरे विश्व भर में फैला। यह पूरी दुनिया के टॉप 5 ट्रेंड में रहा। 

                         नायडू ने इस अवसर पर जीवन के विभिन्न क्षेत्रों से आई 14 तेजस्विनियों को सम्मानित किया। सूचना और प्रसारण मंत्री ने इस अवसर पर तेजस्विनी यू-ट्यूब लिंक का उद्घाटन भी किया। इस अवसर पर सूचना और प्रसारण मंत्री ने कहा कि महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जानकारी देने में मीडिया को भी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने कहा कि विभिन्न मीडिया प्लेटफॉर्मों के माध्यम से नारी शक्ति कार्यक्रमों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अपने देश के इतिहास में योगदान करने वाले और उदाहरण पेश करने वाली महिला नेताओं और बुद्धिजीवियों से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को सामाजिक स्थान पर लाने में हमारे देश ने काफी काम किया है। 

            उन्होंने कहा कि यद्यपि हम पुरानी मनोवृत्ति से और व्यवहारों से उभर आए हैं लेकिन लैंगिक समानता के बारे में लोगों को संवेदी बनाने का कार्य पूरा करना है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक क्षेत्र में भारतीय महिलाओं की भूमिका और उनके योगदान दिखते हैं। भारतीय महिलाएं बैंकर, अंतरिक्ष वैज्ञानिक, पुलिस तथा कॉरपोरेट पेशे में महत्वपूर्ण नेतृत्व निभा रही हैं। सॉफ्टवेयर उद्योग का 30 प्रतिशत कार्यबल महिलाओं का है। भारतीय महिलाओं ने खेल के क्षेत्र में भी अपनी शक्ति का प्रदर्शऩ किया है। बैडमिंटन में पी.वी.सिंधु, कुश्ती में साक्षी मलिक और मुक्केबाजी में मैरी कॉम इसके उदाहरण हैं। यहां तक की वर्तमान सरकार में महिला सहयोगी, विदेश मंत्रालय, वाणिज्य तथा महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को नेतृत्व प्रदान कर रही है। 

                   महिलाओं के असाधारण प्रयासों की चर्चा करते हुए नायडू ने कहा कि छत्तीसगढ़ की 105 वर्षीय कुँवर बाई के जोश की कहानी हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत है। स्वच्छ भारत अभियान के शुभंकर के रूप में प्रधानमंत्री द्वारा हाल में उनका सम्मान किया गया। नायडू ने कहा कि प्रसिद्ध महिलाओं की प्रेरणादायी कहानियां और उपलब्धि प्राप्त करने वाली महिलाओं के साक्षात्कार से वैसी महिलाएं प्रेरित होंगी जिनकी और ध्यान नहीं गया। उन्होंने प्रसार भारती से लड़कियाँ, किशोरियों तथा महिलाओं के लिए सरकार द्वारा चलायी जा रही विभिन्न योजनाओं का संदेश फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का आग्रह किया।

                  उन्होंने कहा कि महिलाओं की योग्यता, मेधा और शक्ति को दिखाने वाले कार्यक्रम बनाने और विकसित किये जाने चाहिए। इससे देश में महिला आंदोलन सशक्त होगा। इससे पहले महिला और बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए कार्यक्रमों की चर्चा की। श्रीमती गांधी ने विशेष रूप से समानता के विचार को प्रोत्साहित करने के लिए सोशल मीडिया पर मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया “हम समान हैं अभियान” की चर्चा की।

                सम्मानित तेजस्विनियों में सुश्री दीपा मलिक, पैरालम्पिक 2017 रजत पदक विजेता, सुश्री सुनीता चौधरी, दिल्ली की पहली ऑटो रिक्शा चालक, सुश्री गीतांजलि बब्बर, सेक्स वर्कर्स के लिए सामाजिक कार्यकर्ता, सुश्री अर्चना रामसुंदरम, अर्द्धसैनिक विंग की पहली महिला प्रमुख, पंडिता अनुराधा पाल, विश्व की पहली महिला पेशेवर तबला वादक, डॉ सोनल मानसिंह, भरतनाट्यम कलाकार, सुश्री उषा चोमर, स्वच्छता एम्बेसेडर, सुश्री प्रतिष्ठा सारस्वत, योगाचार्य, विंग कमांडर पूजा ठाकुर, सुश्री प्रज्ञा घिलडियाल, दिव्यांगता के साथ सर्वश्रेष्ठ खेल व्यक्ति, सुश्री रूपा, एसिड हमले से सुरक्षित बचीं, सुश्री मधु, एसिड हमले से सुरक्षित बचीं, सुश्री नीतू, एसिड हमले से सुरक्षित बचीं, सुश्री संतोष यादव, पर्वतारोही है।

Sunday, 5 March 2017

भारत व ग्रीस के बीच हवाई सेवा समझौता

             प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत और ग्रीस के बीच एयर सर्विसेज एग्रीमेंट (एएसए) पर हस्‍ताक्षर करने को मंजूरी दी है। 

         इस समझौते में दोनों देशों के बीच अधिक से अधिक व्‍यापार, निवेश, पर्यटन और सांस्‍कृतिक आदान-प्रदान को प्रोत्‍साहित करने की क्षमता है ताकि उन्‍हें नागरिक विमानन क्षेत्र में हुए विकास से जोड़ा जा सके। यह दोनों पक्षों की विमानन कंपनियों को वाणिज्यिक अवसर मुहैया कराते समय जबरदस्‍त सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए बेहतर एवं निर्बाध कनेक्टिविटी के अनुकूल वातावरण मुहैया कराएगा।  समझौता, दोनों देश एक या अधिक विमानन कंपनी को नामित करने के हकदार होंगे। हरेक देश की नामित विमानन कंपनी को दूसरे देश के परिक्षेत्र में अपना कार्यालय खोलने का अधिकार होगा ताकि वह अपनी हवाई सेवाओं की बिक्री को बढ़ावा दे सके। दोनों देशों की नामित विमानन कंपनियों को विनिर्दिष्‍ट मार्गों पर सहमति के साथ सेवाओं के संचालन के लिए उचित एवं समान अवसर उप्‍लब्‍ध होंगे। प्रत्‍येक पक्ष की नामित विमानन कंपनी को समान पक्ष, अन्‍य पक्ष एवं तीसरे देश की नामित विमानन कंपनियों के साथ सहायक विपणन व्‍यवस्‍था करने का अधिकार होगा।

             रूट शिड्यूल के अनुसार, भारतीय विमानन कंपनियां एथेंस, थेसालोनिकी, हेराक्‍लॉयन और बाद में निर्धारित किए जाने वाले ग्रीस के किसी तीन शहरों के लिए भारत से उड़ान भर सकेंगी। जबकि यूनानी गणराज्‍य की विमानन कंपनियां नई दिल्‍ली, मुंबई, बेंगलूरु, कोलकाता, हैदराबाद और चेन्‍नई के लिए अपनी सीधी उड़ान सेवा शुरू कर सकती हैं। 

               भारत और ग्रीस के नामित विमानन कंपनियों के लिए मध्‍यवर्ती के तौर पर कोई भी शहर उपलब्‍ध रहेगा। वर्तमान में भारत और ग्रीस के बीच कोई एयर सर्विसेज एग्रीमेंट (एएसए) नहीं है। दोनों पक्षों के प्रतिनिधिमंडलों की बैठक 6-7 सितंबर 2016 को नई दिल्‍ली में हुई थी जिसमें एएसए की सामग्रियों को अंतिम रूप दिया गया था। यह समझौता इंटरनैशनल सिविल एविएशन ऑर्गेनाइजेशन (आईसीएओ) के ताजा दिशानिर्देश के तहत है। इसमें नागरिक विमानन क्षेत्र की ताजा घटनाक्रमों को ध्‍यान में रखा गया है। इसे दोनों देशों के बीच हवाई संपर्क में सुधार लाने के उद्देश्‍य से तैयार किया गया है।

फल-फूल रहा भारतीय पर्यटन, 15.5 प्रतिशत वृद्धि

              पर्यटन मंत्रालय आप्रवासन ब्‍यूरो तथा राज्‍यों/केंद्रशासित प्रदेशों से प्राप्‍त आंकड़ों के आधार पर राज्‍यों/केंद्रशासित प्रदेशों में पर्यटकों के आगमन और यात्रा की अनुमानों का संकलन करता है। 

           विदेशी पर्यटक आगमन (एफटीए) में जनवरी, 2015 की तुलना में जनवरी, 2016 की में 6.8 प्रतिशत की वृद्धि दर को लांघते हुए एफटीए जनवरी, 2016 की तुलना में जनवरी, 2017 के महीने में 16.5 प्रतिशत की वृद्धि मिली है। इसी तरह घरेलू पर्यटक यात्रा (डीटीवी) में 2016 में 2015 की तुलना में 15.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। डीटीवी के लिए प्रत्‍येक वर्ष पर्यटन मंत्रालय सभी राज्‍यों/केंद्रशासित प्रदेशों से प्राप्‍त इनपुट के आधार पर डाटा संकलन करता है। 

               पर्यटन मंत्रालय सभी राज्‍यों/केंद्रशासित प्रदेशों से प्रत्‍येक कैलेंडर वर्ष के लिए संपूर्ण आंकड़ा उत्‍तरवर्ती वर्ष के अप्रैल-मई महीने में प्राप्‍त होता है। अब पर्यटन मंत्रालय ने संबंधित राज्‍यों/केंद्रशासित प्रदेशों से अब तक उपलब्‍ध सूचना/डाटा के आधार पर और पर्यटन मंत्रालय के अनुमानों के आधार पर अस्‍थायी आंकड़ा पेश किया है। वर्ष 2016 के दौरान राज्‍यों/केंद्रशासित प्रदेशों में घरेलू पर्यटकों की संख्‍या 1653 मिलियन (अस्‍थायी) रही, जबकि यह संख्‍या 2015 में 1432 मिलियन थी। इस तरह इसमें 15.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्जकी गई।

               2016 में दस शीर्ष राज्‍यों/ केंद्रशासित प्रदेशों का योगदान कुल घरेलू पर्यटकों में 84.2 प्रतिशत रहा, जबकि यह 2015 में 83.62 प्रतिशत था। घरेलू पर्यटक आगमन संख्‍या तमिलनाडु (344.3), उत्तर प्रदेश (229.6), मध्य प्रदेश (184.7), आंध्र प्रदेश (158.5), कर्नाटक (129.8), महाराष्ट्र ( 115.4), पश्चिम बंगाल (74.5), तेलंगाना (71.5), गुजरात (42.8) और राजस्थान (41.5)। 2016 में घरेलू पर्यटक भ्रमण के मामले में क्रमश: तमिलनाडु और उत्‍तर प्रदेश ने प्रथम और दूसरा स्‍थान बनाए रखा है।

              मध्‍य प्रदेश तीसरे स्‍थान पर और आंध्र प्रदेश चौथे, कर्नाटक पांचवें तथा महाराष्‍ट्र छठे स्‍थान पर रहा। पश्‍चिम बंगाल ने तेलंगना को पछाड़ते हुए सातवां स्‍थान प्राप्‍त किया और तेलंगना 8वें स्‍थान पर रहा। उसके बाद गुजरात और राजस्‍थान रहे।

Friday, 3 March 2017

कानूनी साक्षरता वीडियो प्रतियोगिता

                   विधि और न्याय मंत्रालय का न्याय विभाग कानूनी के साक्षरता के व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए विभिन्न सरकारी तथा गैर-सरकारी एजेंसियों के साथ सहयोग करना चाहता है। 

              न्याय तक पहुंच के उद्देश्य की प्राप्ति की दिशा में कार्यरत है। न्याय विभाग को भारत सरकार के कामकाज नियम 1961 के अनुसार गरीबों को कानूनी सहायता देने का कार्य तथा न्याय तक पहुंच के लिए प्रशासनिक और न्यायिक सुधार का कार्य सौंपा गया है। इसके लिए न्याय विभाग भारत के 17 राज्यों, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान तथा उत्तर प्रदेश और पूर्वोत्तर तथा जम्मू कश्मीर के 8 राज्यों में वंचित आबादी के लिए न्याय तक पहुंच की दो परियोजनाएं लागू कर रहा है। दोनों परियोजनाओं का उद्देश्य वंचित लोगों खासकर महिलाओं, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, अल्पसंख्यकों, वरिष्ठ नागरिकों और विचाराधीन कैदियों के लिए न्याय तक पहुंच की व्यवस्था को सुदृढ़ बनाना है। 

                इसके लिए न्याय विभाग उन रणनीतियों और कार्यक्रमों को समर्थन देता है, जो वंचित लोगों की बाधाओं को दूर करते हैं। न्याय सेवा प्रदाताओं की संस्थागत क्षमता में सुधार करते हैं ताकि गरीबों और वंचित लोगों की कारगर तरीके से सेवा की जा सके।  न्याय तक पहुंच और वंचित समुदाय का कानूनी सशक्तिकरण का एक प्रमुख मानक लोगों में अधिकारों और पात्रता के बारे में जागरूकता फैलाना है। इसके लिए विभाग ने टेलीविजन के माध्यम से अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में व्यापक जागरूकता अभियान चलाने का प्रस्ताव किया है।

               टेलीविजन शिक्षा और जागरूकता के लिए कारगर माध्यम रहा है। इसके माध्यम से अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचा जा सकता है। यह हमारा अनुभव रहा है कि जागरूकता बढ़ाने के काम में लघु फिल्में व्यापक प्रभाव डालती हैं। लघु फिल्में अर्धशिक्षित और अशिक्षित लोगों के लिए उपयोगी होती हैं। न्याय विभाग मानव संसाधन विकास मंत्रालय तथा सूचना और प्रसारण मंत्रालय के साथ साझेदारी कर सामाजिक कानूनी विषयों पर लघु फिल्मों/ वृत्त चित्रों का एक पूल बनाना चाहता है। जिसे साझेदारी में प्रसारित किया जाएगा। 

             वीडियो कंटेट विकसित करने वाले मंत्रालय/विभाग या एजेंसी को उचित क्रेडित दी जाएगी। न्याय विभाग कानूनी साक्षरता वीडियो प्रतियोगिता 2017 का आयोजन कर रहा है। 8 विषयों पर सिविल सोसायटी, व्यक्तियों, शैक्षिक संस्थानों से प्रविष्टियां आमंत्रित की गयी हैं। 8 विषयों में बाल अधिकार, महिला अधिकार, विशेष आवश्यकताओं वाले लोगों के अधिकार, विचाराधीन कैदियों के अधिकार तथा मौलिक कर्तव्यों में समाज के सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों का कल्याण तथा जाति अत्याचार, नस्ली हिंसा से प्रभावित लोगों, किशोर न्याय तथा वन और स्वदेशी समुदायों का कल्याण है।

               विभाग ने विभिन्न श्रेणियों में लघु फिल्मों/वृत्त चित्रों के लिए पुरस्कारों की घोषणा करके कानूनी सहायता और वंचितों के सशक्तिकरण के क्षेत्र में काम करने वाले सिविल सोसायटी, व्यक्तियों, शैक्षिक संस्थानों के प्रयासों को सम्मानित करने का निर्णय लिया है।

Thursday, 2 March 2017

‘देश में मेडिकल शिक्षा को बड़ा प्रोत्‍साहन’

                केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि भारत सरकार ने शैक्षिक सत्र 2017-18 के लिए विभिन्‍न मेडिकल कॉलेजों तथा अस्‍पतालों में 4,000 पीजी मेडिकल सीटें बढ़ाने की मंजूरी दी है। 

            सीटों की संख्‍या की दृष्‍टि से यह अब तक की सबसे बड़ी मंजूरी है। अब कुल 35117 पीजी मेडिकल सीटें उपलब्‍ध हैं। नड्डा ने प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्‍व और निंरतर निर्देशन के लिए धन्‍यवाद देते हुए कहा कि इससे तृतीयक स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल का हमारा संकल्‍प सुदृढ़ होगा। देश में चिकित्‍सा शिक्षा में सुधार होगा। स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने बताया कि कुल वृद्धि में 2046 सीटें मेडिकल कॉलेजों में हैं। क्‍लिनिकल विषयों में पीजी की सीटें बढ़ाने की आवश्‍यकता को देखते हुए सरकार ने सरकारी मेडिकल कॉलेजों में क्‍लिनिकल विषयों में शिक्षक विद्यार्थी अनुपात में संशोधन का फैसला किया था। 

             केवल इसी कदम से 71 कॉलेजों में 1,137 अतिरिक्‍त सीटों का सृजन हुआ। कुल 212 सरकारी कॉलेजों में से अनेक कॉलेज अपने प्रस्‍ताव भेज रहे हैं, और आशा की जाती है कि मार्च, 2017 के दौरान कम से कम 1,000 और सीटें जोड़ी जाएगी। इसमें एमडी/एमएस की समकक्ष डीएनबी की सीटें शामिल हैं।

               पिछले एक वर्ष में डीएनबी की सीटें 2,147 बढ़ी हैं। नड्डा ने कहा कि अब तक देश में पीजी मेडिकल  की कुल 4,143 सीटें जोड़ी गई हैं। मार्च, 2017 के दौरान 1000 से अधिक और सीटे जोड़ी जाएंगी। स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने कहा कि इस तरह बजट घोषणा में देश में 5000 पीजी मेडिकल सीटें बढ़ाने का लक्ष्‍य शीघ्र पूरा कर लिया जाएगा।