Wednesday, 10 May 2017

भारत का निर्यात 500 बिलियन डॉलर

            भारत में व्यापार सफलता के मुख्य कारकों में मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए किए गए प्रयास, निर्यात उन्मुख उद्योंगों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित करना, व्यापार की प्रक्रिया को सरल करना, डिजिटल इंडिया और स्किल इंडिया शामिल हैं। 

           इन सभी ने न केवल नौकरी सृजन में वृद्धि, बल्कि विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि सुनिश्चित करने का काम किया। निर्यात दो अंकीय विकास में परिवर्तित हो गया । आने वाले सालों में भारत का व्यापारिक निर्यात 500 बिलियन डॉलर से अधिक और दोतरफा व्यापार 1 खरब डॉलर से अधिक होगा। यदि सेवाओं को निर्यात में शामिल किया जाता है, तो दोतरफा व्यापार एक खरब डॉलर से अधिक हो जाएगा। भारत के व्यापार को बढ़ावा देने वाला एक अन्य कारक अप्रत्यक्ष कर है, जो इस वर्ष जुलाई से वस्तु एवं सेवा कर के रूप में लागू होने जा रहा है।

              एक राष्ट्र, एक कर और एक साझा बाज़ार व्यवस्था लेनदेन की लागत को कम करने के साथ-साथ लॉजिस्टिक में खपने वाले समय को कम करने जा रही है, ताकि व्यापार को कई गुणा बढ़ाया जा सके। वर्ष 2014-15 में 36 बिलियन डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 48 फीसद बढ़कर वर्ष 2015-16 में 53 बिलियन डॉलर पहुंच गया। इस प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के चलते व्यापार को भी गति मिली। वर्ष 2016-17 में दिसंबर माह तक भारत को 47 बिलियन अमेरिकी डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राप्त हुआ, जो इस बात की ओर इशारा करता है कि यह पिछले वर्ष के 53 बिलियन डॉलर के एफडीआई से आगे निकल जाएगा। 

                 विदेशी मुद्रा भंडार वर्ष 2014 के 312 बिलियन डॉलर से बढ़कर वर्ष 2016 में 365 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया है। नियमों का सरलीकरण, 1200 अप्रचलित कानूनों को खत्म करना, रियल एस्टेट नियामकों की स्थापना के लिए रियल एस्टेट विधेयक, एक मुख्य निर्यात वस्तु अर्थात् रत्न उद्योग के लिए ई-मार्केट की स्थापना और कई अन्य पहलों ने पिछले 2-03 वर्षों के दौरान व्यापार करने के प्रक्रिया को काफी सरल एवं बेहतर बनाया है। लोकप्रिय टार्गेट प्लस योजना को जारी रखने के संबंध में सर्वोच्च न्यायाल के फैसले को हाल ही में मंत्रिमंडल द्वारा मंज़ूरी दिए जाने से भी निर्यात को बढ़ाने में मदद मिलेगी। 

            टार्गेट प्लस योजना के अंतर्गत एफओबी मूल्य का 5-15 प्रतिशत ड्यूटी क्रेडिट निर्यातकों को प्रदान किया जाता है। मार्च महीने में 30 प्रमुख निर्यात उत्पादों में से 25 उत्पादों में सकारात्मक वृद्धि के साथ ही निर्यात निश्चित रूप से सही दिशा में वापस आ रहा है। वर्ष 2016-17 में यह 325 बिलियन डॉलर के निर्यात के लक्ष्य को वापस प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि यह दो अंकों वाले उच्च विकास के रास्ते पर फिर से लौट आए। केन्द्रीय वाणिज्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा मार्च में शुरू की गई निर्यात के लिए व्यापार अवसंरचना योजना (टीआईईएस) भी व्यापार को बढ़ावा देने में मदद करेगी। 

            बुनियादी ढांचे के स्तर पर निर्यातकों के सामने चुनौतियां काफी बड़ी हैं, ऐसे में प्रयोगशालाओं एवं प्रमाणीकरण केन्द्र के अलावा टीआईईएस, बंदरगाहों की अंतिम दूरी तक पहुंच जैसे आधुनिक आधारभूत ढांचे का निर्माण करने में मदद करेगा। यह विभिन्न लॉजिस्टिक बाधाओं को खत्म करने के अलावा, इससे जुड़ी कई अन्य समस्याओं का निपटान करेगा। भारत में लॉजिस्टिक लागत दुनिया के अन्य देशों की तुलना में सर्वोच्च स्तर पर है, ऐसे में केन्द्रीय मंत्री द्वारा शुरू की गई यह ईकाई लॉजिस्टिक लागत को कम करने में मदद करेगी। इसके अलावा, विश्व व्यापार संगठन में 21 वर्षों में पहली बार ट्रेड फैसिलिटेशन एग्रीमेंट नामक बहुपक्षीय समझौते, से व्यापार लगात औसतन 14.3 फीसद तक घटने की उम्मीद है।

              भारत जैसे विकासशील देशों को इससे लाभ होगा, क्योंकि ये वस्तुओं की गतिविधि, निकासी और निवारण के वैश्विक नियमों के अनुरूप होगा। यह व्यापार संबंधी प्रशासनिक गतिविधियों को सरल एवं कम लागत वाला बनाएगा, जिससे वैश्विक आर्थिक विकास को महत्वपूर्ण एवं ज़रूरी बढ़ावा मिलेगा। यह वैश्विक वृद्धि को कम से कम 0.5 फीसद तक बढ़ाने में मदद करेगा, जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ने में मदद मिलेगी। यह वैश्विक व्यापार में भारत की हिस्सेदारी को वर्तमान 1.9 फीसद से बढ़ाकर 5 फीसद तक लाने के लिए सरकार द्वारा किए गए उपायों के साथ निर्यात को प्रोत्साहित करेगा। 

              विश्व की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के साथ, तेज़ी के बढ़ते निर्यात का लाभ उठाने के लिए मोदी सरकार ने उलट आयात शुल्क संरचना को वापस पटरी पर लाने के लिए कई अहम उपाय किए हैं। सरकार द्वारा कार्यान्वित किए जा रहे सुधार, 2020 तक अनुमानित 882 बिलियन डॉलर के भारत के व्यापार निर्यात के लक्ष्य को हासिल करने में मदद करेंगे। विभिन्न सेवा निर्यातों के साथ, भारत का कुल निर्यात करीब 1.3-1.4 ट्रिलियन डॉलर होगा। ऐसी परिस्थितियों में कुल दो तरफा व्यापार 2.5 ट्रिलियन डॉलर की सीमा को पार कर सकता है।

               यह एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य है, मगर सुधारों के मद्देनज़र इसको हासिल करना संभव है। 1991 के आर्थिक उदारवाद के बाद, जीएसटी अपने आप में दूरगामी और अत्यंत प्रभावशाली सुधार है, जो व्यापार, निर्यात एवं अर्थव्यवस्था के स्तर पर देश की विकास की गति को और तेज़ करेगा।

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