Monday, 22 May 2017

64 लाख नए बीपीएल परिवारों को गैस कनेक्शन

           देश में सब्सिडी छोड़ने की पहल का डंका खूब गूंजा। 1.05 करोड़ परिवारों ने स्वैच्छिक रूप से एलपीजी सब्सिडी को त्याग दिया, ताकि सब्सिडी का लाभ ज़रूरतमंद उपभोक्ताओं को मिल सके। 

        वित्त वर्ष 2015-16 में करीब 64 लाख नए बीपीएल परिवारों को गैस कनेक्शन जारी किए गए। वाराणसी को दो वर्षों में पाइप लाइन के जरिए रसोई गैस मुहैया कराने के उद्देश्य से सरकार द्वारा महत्वाकांक्षी गंगा ऊर्जा योजना की शुरुआत की गई। यह योजना वाराणसी के बाद, झारखंड, बिहार, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के लोगों की ज़रूरतों को भी पूरा करेगी। यह योजना पांच राज्यों के 40 ज़िलों और 26 गांवों की ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करेगी। 

            यह योजना तीन बड़े उर्वरक संयंत्रों के पुनरुत्थान के लिए मार्ग प्रशस्त करेगी। यह 20 से अधिक शहरों में औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देगी और 7 शहरों में गैस नेटवर्क का विकास करने में मदद करेगी, जिसके परिणामस्वरूप, बड़ी संख्या में नौकरियों की संभावना बढ़ेगी। पिछले कुछ सालों के दौरान देश में रिफाइनिंग क्षमता में काफी अधिक वृद्धि हुई है। पारादीप रिफाइनरी के चालू से वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान रिफाइनिंग क्षमता में 15 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष (एमएमटीपीए) की क्षमता का विस्तार हुआ है। इस वृद्धि के साथ, अब रिफाइनिंग क्षमता 230.066 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष पर पहुंच गई है।

            सरकार ने घरेलू स्तर पर मांग को पूरा करने के लिए देश में तेल और गैस का उत्पादन बढ़ाने के लिए कई नीतिगत पहल और प्रशासनिक उपाय किए हैं। सरकार ने विभिन्न चरणों के अंतर्गत 01 अप्रैल 2017 से देशभर में बीएस-4 ऑटो ईंधन के कार्यान्वयन को अधिसूचित कर दिया है। यह निर्णय लिया गया है कि देश बीएस -4 से सीधे बीएस -6 ईंधन के मानकों पर पहुंचेगा और बीएस -6 मानकों को 1 अप्रैल, 2020 से लागू कर दिया जाएगा। इंडियन स्ट्रेटेजिक पेट्रोलियम रिज़र्व्स लिमिटेड (आईएसपीआरएल) ने विशाखापट्टनम, मैंगलोर और पादुर में तीन स्थानों पर 5.33 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) की भंडारण क्षमता के साथ स्ट्रेटेजिक क्रूड ऑयल के भंडारण का निर्माण किया है। 

             सरकार ने राष्ट्रीय तेल कम्पनियां ओएनजीसी और ओआईएल द्वारा किए गए 69 हाइड्रोकार्बन खोजों से मुनाफा कमाने और धन अर्जित करने के लिए खोजी लघु क्षेत्र नीति को भी मंजूरी दी है। ये वही परियोजनाएं हैं, जहां पृथक स्थान, भंडारण का छोटा आकार, उच्च विकास लागत, तकनीकी बाधाएं, वित्तीय व्यवस्था आदि विभिन्न कारणों से कई वर्षों से धन अर्जित नहीं किया जा सका है। यह गुवाहाटी, बोंगाइगांव और नुमालिगढ़ रिफाइनरी के विस्तार, नुमालिगढ़ में बायो-रिफाइनरी की स्थापना और राज्य में प्राकृतिक गैस, पीओएल एवं एलपीजी पाइपलाइन के नेटवर्क को विकसित करने का प्रस्ताव करता है। हाइड्रोकार्बन विजन डॉक्यूमेंट 2030, पूर्वोत्तर में तेल और गैस क्षेत्र में वर्ष 2030 तक 1.3 लाख करोड़ रुपये के निवेश का प्रस्ताव करता है।

Wednesday, 10 May 2017

भारत का निर्यात 500 बिलियन डॉलर

            भारत में व्यापार सफलता के मुख्य कारकों में मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए किए गए प्रयास, निर्यात उन्मुख उद्योंगों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित करना, व्यापार की प्रक्रिया को सरल करना, डिजिटल इंडिया और स्किल इंडिया शामिल हैं। 

           इन सभी ने न केवल नौकरी सृजन में वृद्धि, बल्कि विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि सुनिश्चित करने का काम किया। निर्यात दो अंकीय विकास में परिवर्तित हो गया । आने वाले सालों में भारत का व्यापारिक निर्यात 500 बिलियन डॉलर से अधिक और दोतरफा व्यापार 1 खरब डॉलर से अधिक होगा। यदि सेवाओं को निर्यात में शामिल किया जाता है, तो दोतरफा व्यापार एक खरब डॉलर से अधिक हो जाएगा। भारत के व्यापार को बढ़ावा देने वाला एक अन्य कारक अप्रत्यक्ष कर है, जो इस वर्ष जुलाई से वस्तु एवं सेवा कर के रूप में लागू होने जा रहा है।

              एक राष्ट्र, एक कर और एक साझा बाज़ार व्यवस्था लेनदेन की लागत को कम करने के साथ-साथ लॉजिस्टिक में खपने वाले समय को कम करने जा रही है, ताकि व्यापार को कई गुणा बढ़ाया जा सके। वर्ष 2014-15 में 36 बिलियन डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 48 फीसद बढ़कर वर्ष 2015-16 में 53 बिलियन डॉलर पहुंच गया। इस प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के चलते व्यापार को भी गति मिली। वर्ष 2016-17 में दिसंबर माह तक भारत को 47 बिलियन अमेरिकी डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राप्त हुआ, जो इस बात की ओर इशारा करता है कि यह पिछले वर्ष के 53 बिलियन डॉलर के एफडीआई से आगे निकल जाएगा। 

                 विदेशी मुद्रा भंडार वर्ष 2014 के 312 बिलियन डॉलर से बढ़कर वर्ष 2016 में 365 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया है। नियमों का सरलीकरण, 1200 अप्रचलित कानूनों को खत्म करना, रियल एस्टेट नियामकों की स्थापना के लिए रियल एस्टेट विधेयक, एक मुख्य निर्यात वस्तु अर्थात् रत्न उद्योग के लिए ई-मार्केट की स्थापना और कई अन्य पहलों ने पिछले 2-03 वर्षों के दौरान व्यापार करने के प्रक्रिया को काफी सरल एवं बेहतर बनाया है। लोकप्रिय टार्गेट प्लस योजना को जारी रखने के संबंध में सर्वोच्च न्यायाल के फैसले को हाल ही में मंत्रिमंडल द्वारा मंज़ूरी दिए जाने से भी निर्यात को बढ़ाने में मदद मिलेगी। 

            टार्गेट प्लस योजना के अंतर्गत एफओबी मूल्य का 5-15 प्रतिशत ड्यूटी क्रेडिट निर्यातकों को प्रदान किया जाता है। मार्च महीने में 30 प्रमुख निर्यात उत्पादों में से 25 उत्पादों में सकारात्मक वृद्धि के साथ ही निर्यात निश्चित रूप से सही दिशा में वापस आ रहा है। वर्ष 2016-17 में यह 325 बिलियन डॉलर के निर्यात के लक्ष्य को वापस प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि यह दो अंकों वाले उच्च विकास के रास्ते पर फिर से लौट आए। केन्द्रीय वाणिज्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा मार्च में शुरू की गई निर्यात के लिए व्यापार अवसंरचना योजना (टीआईईएस) भी व्यापार को बढ़ावा देने में मदद करेगी। 

            बुनियादी ढांचे के स्तर पर निर्यातकों के सामने चुनौतियां काफी बड़ी हैं, ऐसे में प्रयोगशालाओं एवं प्रमाणीकरण केन्द्र के अलावा टीआईईएस, बंदरगाहों की अंतिम दूरी तक पहुंच जैसे आधुनिक आधारभूत ढांचे का निर्माण करने में मदद करेगा। यह विभिन्न लॉजिस्टिक बाधाओं को खत्म करने के अलावा, इससे जुड़ी कई अन्य समस्याओं का निपटान करेगा। भारत में लॉजिस्टिक लागत दुनिया के अन्य देशों की तुलना में सर्वोच्च स्तर पर है, ऐसे में केन्द्रीय मंत्री द्वारा शुरू की गई यह ईकाई लॉजिस्टिक लागत को कम करने में मदद करेगी। इसके अलावा, विश्व व्यापार संगठन में 21 वर्षों में पहली बार ट्रेड फैसिलिटेशन एग्रीमेंट नामक बहुपक्षीय समझौते, से व्यापार लगात औसतन 14.3 फीसद तक घटने की उम्मीद है।

              भारत जैसे विकासशील देशों को इससे लाभ होगा, क्योंकि ये वस्तुओं की गतिविधि, निकासी और निवारण के वैश्विक नियमों के अनुरूप होगा। यह व्यापार संबंधी प्रशासनिक गतिविधियों को सरल एवं कम लागत वाला बनाएगा, जिससे वैश्विक आर्थिक विकास को महत्वपूर्ण एवं ज़रूरी बढ़ावा मिलेगा। यह वैश्विक वृद्धि को कम से कम 0.5 फीसद तक बढ़ाने में मदद करेगा, जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ने में मदद मिलेगी। यह वैश्विक व्यापार में भारत की हिस्सेदारी को वर्तमान 1.9 फीसद से बढ़ाकर 5 फीसद तक लाने के लिए सरकार द्वारा किए गए उपायों के साथ निर्यात को प्रोत्साहित करेगा। 

              विश्व की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के साथ, तेज़ी के बढ़ते निर्यात का लाभ उठाने के लिए मोदी सरकार ने उलट आयात शुल्क संरचना को वापस पटरी पर लाने के लिए कई अहम उपाय किए हैं। सरकार द्वारा कार्यान्वित किए जा रहे सुधार, 2020 तक अनुमानित 882 बिलियन डॉलर के भारत के व्यापार निर्यात के लक्ष्य को हासिल करने में मदद करेंगे। विभिन्न सेवा निर्यातों के साथ, भारत का कुल निर्यात करीब 1.3-1.4 ट्रिलियन डॉलर होगा। ऐसी परिस्थितियों में कुल दो तरफा व्यापार 2.5 ट्रिलियन डॉलर की सीमा को पार कर सकता है।

               यह एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य है, मगर सुधारों के मद्देनज़र इसको हासिल करना संभव है। 1991 के आर्थिक उदारवाद के बाद, जीएसटी अपने आप में दूरगामी और अत्यंत प्रभावशाली सुधार है, जो व्यापार, निर्यात एवं अर्थव्यवस्था के स्तर पर देश की विकास की गति को और तेज़ करेगा।

Sunday, 30 April 2017

देश में वन सुरक्षा की चुनौतियाँ

           भारत विभिन्न प्रकार के वनों के साथ दुनिया में अत्यधिक विविधता वाले देशों में से एक है। देश का 20 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र वन क्षेत्र में है। राष्ट्रीय वन नीति (1988) का लक्ष्य भारत में वन क्षेत्र को कुल क्षेत्र के एक तिहाई तक लेकर आना है। 2015 में जारी भारत राज्य वन रिपोर्ट के मुताबिक, 2013-2015 के बीच कुल वन क्षेत्र में 5081 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है, जिससे की 103 मिलियन टन कार्बन सिंक की बढ़त दर्ज़ की गई है।

           मिजोरम में सबसे अधिक 93 प्रतिशत वन क्षेत्र है, कई उत्तर पूर्वी राज्यों में हरित आवरण में गिरावट दर्ज़ है। वनों की सुरक्षा और विकास के लिए देश को अपनी नीतियों को लागू करने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।   भारत में जंगलों का संरक्षण वन संरक्षण अधिनियम (1980) के कार्यान्वयन और संरक्षित क्षेत्रों की स्थापना के माध्यम से किया जाता है। भारत सरकार ने 597 संरक्षित क्षेत्रों की स्थापना की है जिनमें से 95 राष्ट्रीय उद्यान और 500 वन्यजीव अभयारण्य हैं। उपरोक्त क्षेत्र देश के भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 5 प्रतिशत हैं।

             विभिन्न प्रकार के वन और जंगली झाड़ियाँ बाघ, हाथियों और शेरों सहित विभिन्न वन्य जीवों की मेजबानी करते हैं। बढ़ती जनसंख्‍या के कारण वन आधारित उद्योगों एवं कृषि के विस्तार के लिए किये जाने वाले अतिक्रमण की वजह से वन भूमि पर भारी दबाव है। पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के निर्माण के लिए वन संरक्षण और विकास परियोजना के पथांतरण के बीच बढ़ते संघर्ष वन संसाधनों के प्रबंधन की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है।

             देश में  लकड़ी की मांग तेजी से बढ़ रही है। 2005 में 58 मिलियन क्यूबिक मीटर से बढ़कर 2020 में 153 मिलियन क्यूबिक मीटर हो गई है। वन भण्डार की वार्षिक वृद्धि केवल 70 मिलियन क्यूबिक मीटर की लकड़ी की आपूर्ति ही कर सकती है, जिससे हमें अन्य देशों से कठोर लकड़ी आयात करने के लिए बाध्य होना पड़ता है। भारत में 67 प्रतिशत ग्रामीण परिवार घर का खाना पकाने के लिए जलाने की लकड़ी पर निर्भर करते हैं। जलाने वाली लकड़ी से निकलने वाले धुएं से सालाना लगभग 10 लाख लोगों की मृत्यु की सूचना प्राप्त होती है।

           समस्या को हल करने के लिए, प्रधानमंत्री एलपीजी स्कीम 'उज्ज्वला योजना' को पेट्रोलियम और गैस मंत्रालय द्वारा लागू किया गया है जो कि दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित बीपीएल परिवारों को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन प्रदान करता है। इसने ग्रामीण इलाकों में बड़ी संख्या में परिवारों तक साफ और कुशल ऊर्जा पहुंचाई है। खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) ने 'वन और ऊर्जा' थीम पर 2017 में विश्व वन दिवस मनाने का आह्वान किया है। इसका मुख्य लक्ष्य लकड़ी को अक्षय ऊर्जा के प्रमुख स्रोत के रूप में विकसित करना, जलवायु परिवर्तन की रोकथाम करना और टिकाऊ विकास को बढ़ावा देना है। 

           सामुदायिक लकड़ी संग्रहों को विकसित करने के साथ स्वच्छ और ऊर्जा कुशल लकड़ी के स्टोव उपलब्ध करवा कर, विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में लाखों लोगों को अक्षय ऊर्जा की सस्ती और विश्वसनीय आपूर्ति उपलब्ध कराई जा सकती है। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन के स्वतंत्र प्रभार के राज्य मंत्री के अनुसार "देश में दो प्रमुख वनीकरण योजनाएं हैं, एक तो राष्ट्रीय वनरोपण कार्यक्रम (एनएपी) और दूसरी ग्रीन इंडिया राष्ट्रीय मिशन (जीआईएम)। इन दोनों ही योजनाओं को संयुक्त वन प्रबंधन कार्यक्रम के तहत सहभागिता स्वरुप में लागू किया गया है।" एनएपी का उद्देश्य अवक्रमित वनों का पर्यावरण से जुड़ा उत्थान करना और जीआईएम का लक्ष्य वनों की गुणवत्ता में सुधार करने के साथ-साथ खेत और कृषि वानिकी सम्बंधित वनों को बढ़ाना है। 

            जीआईएम के तहत प्रतिवर्ष छह मिलियन हेक्टेयर अवक्रमित वन भूमि पर वृक्षारोपण किया जाना है। विकास उद्देश्यों के लिए उपयोग में लाई गई वन भूमि को पुनः वनीकृत करना वनीकरण के मुख्य स्तंभों में से एक है। संसद के दोनों सदनों ने 2016 में वनीकरण क्षतिपूर्ति विधेयक को पारित कर दिया है। 42,000 करोड़ रुपयों के प्रावधान के साथ देश में वन संसाधनों के संरक्षण, सुधार और विस्तार हेतु राज्यों को 6000 करोड़ रुपये का वार्षिक परिव्यय उपलब्ध कराया जाएगा। यह अधिनियम वनीकरण क्षतिपूर्ति कार्यक्रम को लागू करने के लिए केंद्र और राज्य दोनों ही स्तरों पर संस्थागत ढांचा उपलब्ध कराता है। 

            इसके अतिरिक्त यह लगभग 15 करोड़ दिवसों का प्रत्यक्ष रोज़गार उत्पन्न करेगा, जो देश के दूरदराज के वन क्षेत्रों में जनजातीय आबादी की सहायता भी करेगा। इन हरित योजनाओं को लागू करने में भारत को भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। जलवायु परिवर्तन रोपे गए पौधों के अस्तित्व को सीधे तरीके से प्रभावित करता है। शुष्क क्षेत्रों एवं रेगिस्तान का विस्तार एक अन्य बड़ी चुनौती है जिसका उचित हस्तक्षेप द्वारा सामना करना एक प्रमुख आवश्यकता है। वनीकरण के लिए एक सहभागिता मॉडल की अत्यंत आवश्यकता है। आदिवासी ज्ञान प्रणालियों की ताकत को पहचानते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, "अगर कोई है जिन्होंने जंगलों की रक्षा की है, तो वह हमारा आदिवासी समुदाय है, उनके लिए जंगलों की रक्षा आदिवासी संस्कृति का एक प्रमुख हिस्सा है।"

              उन्होंने लोगों का आह्वान कर उनसे प्रतिज्ञा करने को कहा कि वे सामूहिक रूप से वनों के संरक्षण और वृक्ष आवरण को बढ़ाने की तरफ कार्य करें। अधिक वन का मतलब जल की अधिक उपलब्‍धता, जो किसानों और भविष्य की पीढ़ियों के लिए लाभप्रद होगा। प्राचीन भारतीय परंपरा के अनुसार ऋषि-मुनि एवं अन्य विद्यान व्यक्ति वन से ऊर्जा ग्रहण करते हैं। रबींद्रनाथ टैगोर के अनुसार, वन पर आधारित जीवनशैली सांस्कृतिक विकास का उच्चतम स्वरूप है। ऋषि-मुनि वन में वृक्षों एवं पानी की धाराओं के पास रहते हुए उनसे बौद्धिक और आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त करते थे। यद्यपि संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन ने अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस का मुख्य विषय 'वन से प्राप्त होने वाली लकड़ी ऊर्जा’ को बनाया है।

             भारतीय परंपरा वनों की जीवित ऊर्जा को अत्यंत महत्वपूर्ण दर्ज़ा और मूल्य प्रदान करती है, जो जीवन के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पुनर्जनन को प्राप्त करने में सहयोगी होती है। यह वनों और ऊर्जा के बीच के संबंधों को समझने का एक अधिक समग्र दृष्टिकोण लगता है।

Saturday, 22 April 2017

मनरेगा में 2.82 करोड़ की परिसंपत्तियां सृजित

              महात्‍मा गांधी राष्‍ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम ने एक करोड़ परिसंपत्तियों को भू-चिन्हित करते हुए एक नई उपलब्धि हासिल की। 

      मनरेगा के अंतर्ग‍त सृजित परिसंपत्तियों का आकार अत्‍यन्‍त विशाल हो चुका है। वित्‍तीय वर्ष 2006-07 में प्रारंभ हुए इस कार्यक्रम के अंतर्गत अब तक करीब 2.82 करोड़ रुपये मूल्य की परिसंपत्तियां सृजित की जा चुकी हैं। इसके अंतर्गत हर वर्ष औसतन करीब 30 लाख परिसंपत्तियों का निर्माण किया जाता है, जिनमें अनेक कार्य शामिल होते हैं, जैसे जल संरक्षण ढांचों का निर्माण, वृक्षारोपण, ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं का सृजन, बाढ़ नियंत्रण के उपाय, स्‍थायी आजीविका के लिए व्‍यक्तिगत परिसंपत्तियों का निर्माण, सामुदायिक ढांचा और ऐसी ही अन्‍य परिसंपत्तियां शामिल होती हैं। 

             मनरेगा परिसं‍पत्तियों को भू-चिन्हित यानी जिआ-टैग करने की प्रक्रिया जारी है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत सृजित सभी परिसंपत्तियां जिआ-टैग की जाएंगी। राष्‍ट्रीय प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन कार्यों, विशेष रूप से जल संबंधी कार्यों को भू-चिन्हित यानी जिआ-टैग करने पर विशेष ध्‍यान केन्द्रित किया जा रहा है। जिआ-मनरेगा ग्रामीण विकास मंत्रालय का एक बेजोड़ प्रयास है, जिसे राष्‍ट्रीय दूर संवेदी केन्‍द्र (एनआरएससी), इसरो और राष्‍ट्रीय सुचना विज्ञान केन्‍द्र के सहयोग से अंजाम दिया जा रहा है। इसके लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय ने 24 जून 2016 को एनआरएससी के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्‍ताक्षर किए थे। इसके अंतर्गत प्रत्‍येक ग्राम पंचायत के अंतर्गत सृजित परिसंपत्तियों को जिओ-टैग किया जाना है।

            इस समझौते के फलस्‍वरूप राष्‍ट्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज संस्‍थान की सहायता से देशभर में 2.76 लाख कार्मिकों को प्रशिक्षण प्रदान किया गया। उम्‍मीद की जा रही है कि भू-चिन्हित करने की प्रकिया से फीड स्‍तर पर जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सकेगी।

देश के 91 प्रमुख जलाशयों के जलस्तर में कमी 

              देश के 91 प्रमुख जलाशयों में 46.06 बीसीएम (अरब घन मीटर) जल का संग्रहण आंका गया। यह इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 29 प्रतिशत है। 13 अप्रैल को समाप्त हुए सप्ताह के अंत में यह दर 31 प्रतिशत थी। यह पिछले वर्ष की इसी अवधि के कुल संग्रहण का 133 प्रतिशत तथा पिछले दस वर्षों के औसत जल संग्रहण का 106 प्रतिशत है। 

           इन 91 जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता 157.799 बीसीएम है, जो समग्र रूप से देश की अनुमानित कुल जल संग्रहण क्षमता 253.388 बीसीएम का लगभग 62 प्रतिशत है। इन 91 जलाशयों में से 37 जलाशय ऐसे हैं जो 60 मेगावाट से अधिक की स्थापित क्षमता के साथ पनबिजली संबंधी लाभ देते हैं। उत्तरी क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश, पंजाब तथा राजस्थान आते हैं। इस क्षेत्र में 18.01 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले छह जलाशय हैं, जो केन्द्रीय जल आयोग (सीडब्यूसी) की निगरानी में हैं। 

             इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 4.50 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 25 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 22 प्रतिशत थी। पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 30 प्रतिशत था। इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में संग्रहण बेहतर है, लेकिन पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से यह कमतर है।

               पूर्वी क्षेत्र में झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल एवं त्रिपुरा आते हैं। इस क्षेत्र में 18.83 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 15 जलाशय हैं, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं। इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 8.68 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 46 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 32 प्रतिशत थी। पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 32 प्रतिशत था। इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में संग्रहण बेहतर है। यह पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से भी बेहतर है। 

               पश्चिमी क्षेत्र में गुजरात तथा महाराष्ट्र आते हैं। इस क्षेत्र में 27.07 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 27 जलाशय हैं, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं। इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 9.81 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 36 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 19 प्रतिशत थी। पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 35 प्रतिशत था। इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में संग्रहण बेहतर है। यह पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से भी बेहतर है।

              मध्य क्षेत्र में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ आते हैं। इस क्षेत्र में 42.30 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 12 जलाशय हैं, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं। इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 17.43 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 41 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 29 प्रतिशत थी। पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 26 प्रतिशत था। इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में संग्रहण बेहतर है। यह पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से भी बेहतर है।

               दक्षिणी क्षेत्र में आंध्र प्रदेश (एपी), तेलंगाना (टीजी), एपी एवं टीजी (दोनों राज्यों में दो संयुक्त परियोजनाएं), कर्नाटक, केरल एवं तमिलनाडु आते हैं। इस क्षेत्र में 51.59 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 31 जलाशय हैं, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं। इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 5.61 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 11 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 14 प्रतिशत थी। पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 26 प्रतिशत था। इस तरह चालू वर्ष में संग्रहण पिछले वर्ष की इसी अवधि में हुए संग्रहण से कमतर है, और यह पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से भी कमतर है। 

         पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में जिन राज्यों में जल संग्रहण बेहतर है उनमें पंजाब, राजस्थान, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश,  उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, एपी एवं टीजी (दोनों राज्यों में दो संयुक्त परियोजनाएं), और तेलंगाना शामिल हैं। इसी अवधि के लिए पिछले साल की तुलना में कम संग्रहण करने वाले राज्यों में हिमाचल प्रदेश, त्रिपुरा, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु शामिल हैं।

Friday, 24 March 2017

मनरेगा : ग्रामीण परिवारों की जीवनरेखा

           महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) ने अपनी स्थापना के बाद से अब तक एक लंबा सफर तय कर लिया है। यह लाखों लोगों के लिए एक जीवनरेखा बन गया है।

            इस अधिनियम को 7 सितंबर 2005 को अधिसूचित किया गया था ताकि प्रत्येक ग्रामीण परिवार को एक वर्ष में कम से कम 100 दिन का रोजगार प्रदान किया जा सके, जिनके वयस्क सदस्य अकुशल दस्‍ती काम कर सकते थे। सामाजिक समावेश, लिंग समानता, सामाजिक सुरक्षा और न्यायसंगत विकास महात्मा गांधी नरेगा के संस्थापक स्तंभ हैं। वर्ष 2015-16 के दौरान, 235 करोड़ दिवस पैदा किए गए, जोकि पिछले पांच वर्षों की तुलना में सबसे ज्‍यादा था। वर्ष 2016-17 के दौरान 4.8 करोड़ परिवारों को 142.64 लाख कार्य-क्षेत्रों में रोजगार दिए गए।

             इस प्रक्रिया में रोजगार के 200 करोड़ दिवस पैदा किए गए। कुल रोजगार का 56 प्रतिशत हिस्‍सा महिलाओं के लिए पैदा किया गया। इस कार्यक्रम की शुरुआत के बाद से अब तक महिलाओं की यह भागीदारी सबसे ज्‍यादा है। इस कार्यक्रम के लिए अब तक 3,76,546 करोड़ रुपए दिए गए हैं। वित्‍त वर्ष 2017-18 के लिए 48,000 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं, जोकि मनरेगा के लिए अभी तक आवंटित राशियों में सबसे अधिक है। वर्ष 2016-17 में 51,902 करोड़ रुपए खर्च किए गए जोकि इसकी शुरुआत के बाद से अब तक का सबसे अधिक खर्च है। औसतन हर साल (वित्‍त वर्ष 2013-14 तक) 25 से 30 लाख कार्य पूरे किए गए थे, वहीं मौजूदा वित्‍त वर्ष 2016-17 में 51.3 लाख काम पूरे किए गए।

             इस कार्यक्रम की शुरुआत के बाद पहली बार, जल संरक्षण के लिए समेकित दिशानिर्देश तैयार किए गए। मिशन जल संरक्षण - प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) और इंटीग्रेटेड वाटरशेड मैनेजमेंट प्रोग्राम (आईडब्ल्यूएमपी) के साथ मिलकर मनरेगा के तहत प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन (एनआरएम) संबंधित कार्यों के लिए योजना और निगरानी फ्रेमवर्क तैयार किया गया है। इनके लिए वैज्ञानिक नियोजन और नवीनतम प्रौद्योगिकी का उपयोग करके जल प्रबंधन का निष्पादन ही मंत्रालय का मुख्‍य ध्‍येय है। वित्‍त वर्ष 2016-17 में कुल खर्च का 63 प्रतिशत हिस्‍सा एनआरएम (प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन) कार्यों पर खर्च किए गए। वित्‍त वर्ष 2016-17 में कृषि और संबंधित क्षेत्रों के कार्यों पर लगभग 70 प्रतिशत खर्च किया गया, जोकि वित्‍त वर्ष 2013-14 में सिर्फ लगभग 48 प्रतिशत था। भू-मनरेगा तो एक पथप्रदर्शक पहल है, जो बेहतर नियोजन, प्रभावी निगरानी, बढ़ी हुई दृश्यता और अधिक पारदर्शिता के लिए मनरेगा के तहत बनाई गई सभी संपत्तियों को भू-टैगिंग के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग करती है। 

              इस पहल की शुरुआत वित्‍त वर्ष 2016-17 में की गई। लगभग 65 लाख संपत्तियों को भू-टैग किया गया। इसे पब्लिक डोमेन में लाया गया। निधि प्रवाह तंत्र के बेरोकटोक चलने और मजदूरी के भुगतान में देरी को कम करने के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय ने 21 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश में राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक फंड मैनेजमेंट सिस्टम (एनईएफएमएस) लागू किया है। इलेक्ट्रॉनिक फंड मैनेजमेंट सिस्टम (ईएफएमएस) के द्वारा एमजीएनआरईजीए के कर्मचारियों के बैंक/डाकघर खातों में मजदूरी का लगभग 96 प्रतिशत हिस्‍सा इलेक्ट्रॉनिक रूप से भुगतान किया जा रहा है। 

              वित्त वर्ष 2013-14 में मजदूरी का सिर्फ 37 प्रतिशत भुगतान इलेक्ट्रॉनिक रूप से किया गया था। अभी 8.9 करोड़ सक्रिय मजदूरों के एनआरईजीएसोफ्ट-एमआईएस में आधार संख्या दर्ज है, जबकि जनवरी 2014 में यह संख्या मात्र 76 लाख थी। अब तक 4.25 करोड़ मजदूरों को आधार आधारित भुगतान प्रणाली (एबीपीएस) के लिए सक्षम किया गया है। वित्‍त वर्ष 2016-17 के दौरान जॉब कार्ड सत्‍यापन और अद्यतन प्रक्रिया शुरू की गई थी। अभियान के रूप में चलाकर 75 प्रतिशत सक्रिय जॉब कार्डों का सत्‍यापन किया गया। वर्ष 2016-17 के लिए पहले जारी किए गए 1039 परिपत्रों/परामर्शों और वार्षिक मास्टर परिपत्र (एएमसी) जारी करके मनरेगा को सरल बनाने के लिए पहल की गई। वित्‍त वर्ष 2017-18 के लिए एएमसी जारी किया जाएगा। 

                 ग्राम पंचायत स्तर पर रजिस्टरों की संख्या में कमी करने के लिए औसतन 22 रजिस्टरों की तुलना में 7 सरल रजिस्टरों की प्रक्रिया लागू की गई है। अब तक, 2.05 लाख ग्राम पंचायतों ने इसे अपना लिया है। यह कार्यक्रम सामाजिक ऑडिट और आंतरिक लेखा परीक्षा की एक अधिक स्वतंत्र और सशक्त प्रणाली की दिशा में आगे बढ़ रहा है, ताकि महिला एसएचजी से लिए गए सामाजिक लेखा परीक्षकों के एक प्रशिक्षित सामुदायिक काडरों के द्वारा जवाबदेही के साथ-सा‍थ विकास भी सुनिश्चित किया जा सके। मंत्रालय ने अंतरराज्‍यीय आदान-प्रदान कार्यक्रम की शुरुआत की है, जिससे विचारों और पद्धतियों को साझा किया जा सके। 2016-17 के दौरान अब तक, तमिलनाडु, राजस्थान, मेघालय, झारखंड, आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ राज्यों ने इस पहल को लागू किया है। 

           पहली बार, बुनियादी स्‍तर पर पीएमजीएसवाई दिशानिर्देशों के आधार पर गैर-पीएमजीएसवाई सड़कों के लिए दिशानिर्देश बनाए गए हैं। इन संपत्तियों के भविष्‍य में पीएमजीएसवाई मानकों के स्‍तर तक की गुणवत्‍ता की संभावना होगी।

Wednesday, 8 March 2017

महिलाएं परिवर्तन की वाहक

           राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर नारी शक्ति पुरुस्कार प्रदान किए। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर मुझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है।

            भारत में हम अपने दैनिक जीवन में अनेक तरीकों से अपनी महिलाओं को स्वीकार करते है। याद करते है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर हम समाज के प्रति महिलाओं के निःस्वार्थ उपहार के लिए उन्हें विश्व द्वारा नमन करने में शामिल हो रहे है। नारी शक्ति पुरुस्कार प्राप्त करने वाली महिलाओं और संगठनों को बधाई देता हूं। उन्होंने चुनौतियों को स्वीकार करके तथा उच्च आकांक्षाओं को पूरा करने का उत्कृष्ठ कार्य किया है। प्रत्येक सफलता के पीछे संकल्प और दृढ़ता की कहानी होती है। 

          प्रत्येक सफलता हजारों अन्य महिलाओं के प्रयासों का प्रतिनिधित्व करती है। इनका समान रूप से आदार किया जाना चाहिए। भारत के स्वतंत्र गणराज्य बनने से पहले अपने देश में महिलाओं की सशक्तिकरण पर विचार-विमर्श शुरू हुआ। हमारे संविधान और नीति निर्देशक तत्वों में नीति और नियोजन के लिए सरकार को स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए गए है। महिलाएं अब केवल कल्याण लाभों को प्राप्त करने वाली नहीं बल्कि समान अधिकार, समान सहभागी और देश की सामाजिक-आर्थिक, सांस्कृतिक तथा राजनीतिक प्रक्रियाओं में परिवर्तन की वाहक के रूप में मान्य दी जाती हैं। 

            राजनीतिक क्षेत्र में महिलाओं का प्रयास सराहनीय रहा है। उन्होंने सामाजिक और आर्थिक असमानता को कम करने में प्रभावी रूप से योगदान दिया है। निःस्वार्थ भाव से विकास तथा राष्ट्र निर्माण के लक्ष्यों के लिए कार्य कर रही है। स्थानीय स्वशासन के क्षेत्र में ग्रामीण भारत में एक मिलियन से अधिक, निर्धारित 33 प्रतिशत से अधिक- महिलाओं ने अधिकार प्राप्त किए हैं। प्रभावी रूप से अपने दायित्व को निभा रही हैं। रक्षा सेवाओं, पुलिस तथा सुरक्षा बलों, खेल, शिक्षा, अंतरिक्ष अनुसंधान और नवाचार जैसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में महिलाएं कमजोर और शोषित लोगों के लिए काम कर रही हैं, समुदाय तक पहुंच रही है। 

           स्वास्थ्य कार्यक्रमों में भागीदारी कर रही हैं। अच्छे टीम कार्य और सफलता के लिए महिलाएं अपरिहार्य हैं। हमें यह स्वीकार करना होगा कि प्रायः महिलाओं के साथ भेदभाव किया जाता है। लेकिन वास्तविकता यह है कि महिलाएं ऐसी कठिनाइय़ों को पार कर जाती है और प्रेरित करती हैं। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर यह दोहराना आवश्यक है कि प्रत्येक लड़की और महिला को यह आवश्स्त किया जाना चाहिए कि भारत सरकार उन्हें ऐसा सक्षम वातावरण उपलब्ध कराने के लिए संकल्पबद्ध है, जिसमें उन्हें को बराबरी का अवसर मिले। महिलाओं को आत्मविश्वासी महसूस होना चाहिए, उन्हें यह विश्वास होना चाहिए कि जिस क्षेत्र को वह चुनती हैं उन क्षेत्रों में वह उच्च आकांक्षाओं की पूर्ति कर सकती है। 

             देश के अनेक हिस्सों में बाल लिंग अनुपात में गिरावट को देखते हुए प्रधानमंत्री का ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान लांच किया गया है। यह अभियान इस तरह बनाया गया है ताकि देश के प्रत्येक हिस्सें में लड़की प्राथमिक शिक्षा में नामांकन के लिए प्रेरित हो सके। इस कार्यक्रम के अंतर्गत 2015 तक देश के 100 जिलों को चुना गया। 2016 में इसमें 61 अतिरिक्त जिले जोड़े गए। सरकार महिलाओं के प्रति बढ़ रही हिंसा को लेकर चिंतित है। यह अक्षमय बात है कि भारत में महिला उतनी सुरक्षित महसूस नहीं करतीं, जितनी सुरक्षा होनी चाहिए।  

               राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा, आधुनिक भारत में लैंगिंक असमानता और भेदभाव के लिए कोई स्थान नहीं है। भारत का प्रमुख लक्ष्य समावेशी विकास है। इस बारे में स्कूलों और कॉलेजों में बच्चों को संवेदी बनाने से महिलाओं को उचित सम्मान मिलेगा। यह कार्य हमारे ग्रामीण और शहरी आबादी के बीच उचित उपायों के जरिए और समेकित सरकारी कार्यक्रमों के माध्यम से पूरा किया जाना चाहिए। इसमें कोई संदेह नहीं कि महिलाओं में अनेक कार्य संपन्न करने की आपार क्षमता होती है। अपने परिवारों तथा घरों से लेकर खेतों, व्यवसायों और विभिन्न कार्यों में महिलाओं का संकल्प किसी से कम नहीं है। गुरुदेव रविन्द्रनाथ टैगोर की कृति घरे बायरे में पढ़ी हुई पंक्ति मुझे याद आती है कि, ‘हम महिलाएं घर के चिराग की केवल देवियां नहीं, बल्कि इसकी ज्योति और आत्मा है।’ 

            महिलाओं को आदार देते समय यह पंक्तियां हमारे दिमाग में होनी चाहिए। यह कठिन नहीं है क्योंकि यह बुनियादी मूल्य हमारी महान विरासत का हिस्सा रहे हैं। हमारी चेतना में हैं। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर हमें इन बुनियादी मूल्यों की रक्षा और प्रसार के प्रति अपने आप को समर्पित करना चाहिए। इन शब्दों के साथ मैं एक बार फिर नारी शक्ति पुरुस्कार विजेताओं को बधाई देता हूं। उनके प्रयासों में सफलता की कामना करता हूं। महिला और बाल विकास मंत्री श्रीमती मेनका संजय गांधी को इन पुरुस्कारों के गठन के लिए मैं हृदय से धन्यवाद देता हूं। यह पुरुस्कार महिलाओं के सशक्तिकरण और अपने देश की प्रगति के लिए व्यक्तियों, संस्थानों और संगठनों को छोटा-बड़ा योगदान करने के लिए प्रेरित करेगे।

Monday, 6 March 2017

महिला सशक्तिकरण, मुक्ति व समानता महत्वपूर्ण

            सूचना व प्रसारण मंत्री वैंकेया नायडू ने कहा कि देश के विकास में महिलाओँ की भूमिका को परिभाषित करने के तीन महत्वपूर्ण तत्व हैं। 

सूचना व प्रसारण मंत्री वैंकेया नायडू ने कहा कि  महिला सशक्तिकरण, मुक्ति तथा समानता। सरकार विभिन्न उपायों के जरिए महिलाओं और लड़कियों के लिए समान अधिकार और अवसर उपलब्ध कराने के प्रति संकल्पबद्ध है। साथ-साथ सूचना और प्रसारण मंत्री ने फिल्मों में महिलाओं को घिसेपीटे और पारंपरिक रूप से दिखाने पर चिंता व्यक्त की। वैंकेया नायडू तेजस्विनी धारावाही की 100वीं कड़ी पूरी होने पर दूरदर्शन समाचार द्वारा आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे। 

                  इस अवसर पर सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री कर्नल राज्यवर्धन राठौर भी उपस्थित थे। नायडू ने महिलाओं और लड़कियों से संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए सरकार द्वारा किए गए विभिन्न उपायों की चर्चा की। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम का उद्देश्य व्यवहार में परिवर्तन लाना और महिलाओँ की भूमिका के बारे में लोगों की सोच को बदलना है। सुकन्या समृद्धि योजना हमारी बेटियों को वित्तीय सुरक्षा उपलब्ध कराती है। प्रधानमंत्री द्वारा मन की बात के माध्यम से लाँन्च किया गया। सेल्फी विद डॉटर्स अभियान पूरे विश्व भर में फैला। यह पूरी दुनिया के टॉप 5 ट्रेंड में रहा। 

                         नायडू ने इस अवसर पर जीवन के विभिन्न क्षेत्रों से आई 14 तेजस्विनियों को सम्मानित किया। सूचना और प्रसारण मंत्री ने इस अवसर पर तेजस्विनी यू-ट्यूब लिंक का उद्घाटन भी किया। इस अवसर पर सूचना और प्रसारण मंत्री ने कहा कि महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जानकारी देने में मीडिया को भी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने कहा कि विभिन्न मीडिया प्लेटफॉर्मों के माध्यम से नारी शक्ति कार्यक्रमों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अपने देश के इतिहास में योगदान करने वाले और उदाहरण पेश करने वाली महिला नेताओं और बुद्धिजीवियों से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को सामाजिक स्थान पर लाने में हमारे देश ने काफी काम किया है। 

            उन्होंने कहा कि यद्यपि हम पुरानी मनोवृत्ति से और व्यवहारों से उभर आए हैं लेकिन लैंगिक समानता के बारे में लोगों को संवेदी बनाने का कार्य पूरा करना है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक क्षेत्र में भारतीय महिलाओं की भूमिका और उनके योगदान दिखते हैं। भारतीय महिलाएं बैंकर, अंतरिक्ष वैज्ञानिक, पुलिस तथा कॉरपोरेट पेशे में महत्वपूर्ण नेतृत्व निभा रही हैं। सॉफ्टवेयर उद्योग का 30 प्रतिशत कार्यबल महिलाओं का है। भारतीय महिलाओं ने खेल के क्षेत्र में भी अपनी शक्ति का प्रदर्शऩ किया है। बैडमिंटन में पी.वी.सिंधु, कुश्ती में साक्षी मलिक और मुक्केबाजी में मैरी कॉम इसके उदाहरण हैं। यहां तक की वर्तमान सरकार में महिला सहयोगी, विदेश मंत्रालय, वाणिज्य तथा महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को नेतृत्व प्रदान कर रही है। 

                   महिलाओं के असाधारण प्रयासों की चर्चा करते हुए नायडू ने कहा कि छत्तीसगढ़ की 105 वर्षीय कुँवर बाई के जोश की कहानी हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत है। स्वच्छ भारत अभियान के शुभंकर के रूप में प्रधानमंत्री द्वारा हाल में उनका सम्मान किया गया। नायडू ने कहा कि प्रसिद्ध महिलाओं की प्रेरणादायी कहानियां और उपलब्धि प्राप्त करने वाली महिलाओं के साक्षात्कार से वैसी महिलाएं प्रेरित होंगी जिनकी और ध्यान नहीं गया। उन्होंने प्रसार भारती से लड़कियाँ, किशोरियों तथा महिलाओं के लिए सरकार द्वारा चलायी जा रही विभिन्न योजनाओं का संदेश फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का आग्रह किया।

                  उन्होंने कहा कि महिलाओं की योग्यता, मेधा और शक्ति को दिखाने वाले कार्यक्रम बनाने और विकसित किये जाने चाहिए। इससे देश में महिला आंदोलन सशक्त होगा। इससे पहले महिला और बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए कार्यक्रमों की चर्चा की। श्रीमती गांधी ने विशेष रूप से समानता के विचार को प्रोत्साहित करने के लिए सोशल मीडिया पर मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया “हम समान हैं अभियान” की चर्चा की।

                सम्मानित तेजस्विनियों में सुश्री दीपा मलिक, पैरालम्पिक 2017 रजत पदक विजेता, सुश्री सुनीता चौधरी, दिल्ली की पहली ऑटो रिक्शा चालक, सुश्री गीतांजलि बब्बर, सेक्स वर्कर्स के लिए सामाजिक कार्यकर्ता, सुश्री अर्चना रामसुंदरम, अर्द्धसैनिक विंग की पहली महिला प्रमुख, पंडिता अनुराधा पाल, विश्व की पहली महिला पेशेवर तबला वादक, डॉ सोनल मानसिंह, भरतनाट्यम कलाकार, सुश्री उषा चोमर, स्वच्छता एम्बेसेडर, सुश्री प्रतिष्ठा सारस्वत, योगाचार्य, विंग कमांडर पूजा ठाकुर, सुश्री प्रज्ञा घिलडियाल, दिव्यांगता के साथ सर्वश्रेष्ठ खेल व्यक्ति, सुश्री रूपा, एसिड हमले से सुरक्षित बचीं, सुश्री मधु, एसिड हमले से सुरक्षित बचीं, सुश्री नीतू, एसिड हमले से सुरक्षित बचीं, सुश्री संतोष यादव, पर्वतारोही है।

Sunday, 5 March 2017

भारत व ग्रीस के बीच हवाई सेवा समझौता

             प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत और ग्रीस के बीच एयर सर्विसेज एग्रीमेंट (एएसए) पर हस्‍ताक्षर करने को मंजूरी दी है। 

         इस समझौते में दोनों देशों के बीच अधिक से अधिक व्‍यापार, निवेश, पर्यटन और सांस्‍कृतिक आदान-प्रदान को प्रोत्‍साहित करने की क्षमता है ताकि उन्‍हें नागरिक विमानन क्षेत्र में हुए विकास से जोड़ा जा सके। यह दोनों पक्षों की विमानन कंपनियों को वाणिज्यिक अवसर मुहैया कराते समय जबरदस्‍त सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए बेहतर एवं निर्बाध कनेक्टिविटी के अनुकूल वातावरण मुहैया कराएगा।  समझौता, दोनों देश एक या अधिक विमानन कंपनी को नामित करने के हकदार होंगे। हरेक देश की नामित विमानन कंपनी को दूसरे देश के परिक्षेत्र में अपना कार्यालय खोलने का अधिकार होगा ताकि वह अपनी हवाई सेवाओं की बिक्री को बढ़ावा दे सके। दोनों देशों की नामित विमानन कंपनियों को विनिर्दिष्‍ट मार्गों पर सहमति के साथ सेवाओं के संचालन के लिए उचित एवं समान अवसर उप्‍लब्‍ध होंगे। प्रत्‍येक पक्ष की नामित विमानन कंपनी को समान पक्ष, अन्‍य पक्ष एवं तीसरे देश की नामित विमानन कंपनियों के साथ सहायक विपणन व्‍यवस्‍था करने का अधिकार होगा।

             रूट शिड्यूल के अनुसार, भारतीय विमानन कंपनियां एथेंस, थेसालोनिकी, हेराक्‍लॉयन और बाद में निर्धारित किए जाने वाले ग्रीस के किसी तीन शहरों के लिए भारत से उड़ान भर सकेंगी। जबकि यूनानी गणराज्‍य की विमानन कंपनियां नई दिल्‍ली, मुंबई, बेंगलूरु, कोलकाता, हैदराबाद और चेन्‍नई के लिए अपनी सीधी उड़ान सेवा शुरू कर सकती हैं। 

               भारत और ग्रीस के नामित विमानन कंपनियों के लिए मध्‍यवर्ती के तौर पर कोई भी शहर उपलब्‍ध रहेगा। वर्तमान में भारत और ग्रीस के बीच कोई एयर सर्विसेज एग्रीमेंट (एएसए) नहीं है। दोनों पक्षों के प्रतिनिधिमंडलों की बैठक 6-7 सितंबर 2016 को नई दिल्‍ली में हुई थी जिसमें एएसए की सामग्रियों को अंतिम रूप दिया गया था। यह समझौता इंटरनैशनल सिविल एविएशन ऑर्गेनाइजेशन (आईसीएओ) के ताजा दिशानिर्देश के तहत है। इसमें नागरिक विमानन क्षेत्र की ताजा घटनाक्रमों को ध्‍यान में रखा गया है। इसे दोनों देशों के बीच हवाई संपर्क में सुधार लाने के उद्देश्‍य से तैयार किया गया है।

फल-फूल रहा भारतीय पर्यटन, 15.5 प्रतिशत वृद्धि

              पर्यटन मंत्रालय आप्रवासन ब्‍यूरो तथा राज्‍यों/केंद्रशासित प्रदेशों से प्राप्‍त आंकड़ों के आधार पर राज्‍यों/केंद्रशासित प्रदेशों में पर्यटकों के आगमन और यात्रा की अनुमानों का संकलन करता है। 

           विदेशी पर्यटक आगमन (एफटीए) में जनवरी, 2015 की तुलना में जनवरी, 2016 की में 6.8 प्रतिशत की वृद्धि दर को लांघते हुए एफटीए जनवरी, 2016 की तुलना में जनवरी, 2017 के महीने में 16.5 प्रतिशत की वृद्धि मिली है। इसी तरह घरेलू पर्यटक यात्रा (डीटीवी) में 2016 में 2015 की तुलना में 15.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। डीटीवी के लिए प्रत्‍येक वर्ष पर्यटन मंत्रालय सभी राज्‍यों/केंद्रशासित प्रदेशों से प्राप्‍त इनपुट के आधार पर डाटा संकलन करता है। 

               पर्यटन मंत्रालय सभी राज्‍यों/केंद्रशासित प्रदेशों से प्रत्‍येक कैलेंडर वर्ष के लिए संपूर्ण आंकड़ा उत्‍तरवर्ती वर्ष के अप्रैल-मई महीने में प्राप्‍त होता है। अब पर्यटन मंत्रालय ने संबंधित राज्‍यों/केंद्रशासित प्रदेशों से अब तक उपलब्‍ध सूचना/डाटा के आधार पर और पर्यटन मंत्रालय के अनुमानों के आधार पर अस्‍थायी आंकड़ा पेश किया है। वर्ष 2016 के दौरान राज्‍यों/केंद्रशासित प्रदेशों में घरेलू पर्यटकों की संख्‍या 1653 मिलियन (अस्‍थायी) रही, जबकि यह संख्‍या 2015 में 1432 मिलियन थी। इस तरह इसमें 15.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्जकी गई।

               2016 में दस शीर्ष राज्‍यों/ केंद्रशासित प्रदेशों का योगदान कुल घरेलू पर्यटकों में 84.2 प्रतिशत रहा, जबकि यह 2015 में 83.62 प्रतिशत था। घरेलू पर्यटक आगमन संख्‍या तमिलनाडु (344.3), उत्तर प्रदेश (229.6), मध्य प्रदेश (184.7), आंध्र प्रदेश (158.5), कर्नाटक (129.8), महाराष्ट्र ( 115.4), पश्चिम बंगाल (74.5), तेलंगाना (71.5), गुजरात (42.8) और राजस्थान (41.5)। 2016 में घरेलू पर्यटक भ्रमण के मामले में क्रमश: तमिलनाडु और उत्‍तर प्रदेश ने प्रथम और दूसरा स्‍थान बनाए रखा है।

              मध्‍य प्रदेश तीसरे स्‍थान पर और आंध्र प्रदेश चौथे, कर्नाटक पांचवें तथा महाराष्‍ट्र छठे स्‍थान पर रहा। पश्‍चिम बंगाल ने तेलंगना को पछाड़ते हुए सातवां स्‍थान प्राप्‍त किया और तेलंगना 8वें स्‍थान पर रहा। उसके बाद गुजरात और राजस्‍थान रहे।

Friday, 3 March 2017

कानूनी साक्षरता वीडियो प्रतियोगिता

                   विधि और न्याय मंत्रालय का न्याय विभाग कानूनी के साक्षरता के व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए विभिन्न सरकारी तथा गैर-सरकारी एजेंसियों के साथ सहयोग करना चाहता है। 

              न्याय तक पहुंच के उद्देश्य की प्राप्ति की दिशा में कार्यरत है। न्याय विभाग को भारत सरकार के कामकाज नियम 1961 के अनुसार गरीबों को कानूनी सहायता देने का कार्य तथा न्याय तक पहुंच के लिए प्रशासनिक और न्यायिक सुधार का कार्य सौंपा गया है। इसके लिए न्याय विभाग भारत के 17 राज्यों, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान तथा उत्तर प्रदेश और पूर्वोत्तर तथा जम्मू कश्मीर के 8 राज्यों में वंचित आबादी के लिए न्याय तक पहुंच की दो परियोजनाएं लागू कर रहा है। दोनों परियोजनाओं का उद्देश्य वंचित लोगों खासकर महिलाओं, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, अल्पसंख्यकों, वरिष्ठ नागरिकों और विचाराधीन कैदियों के लिए न्याय तक पहुंच की व्यवस्था को सुदृढ़ बनाना है। 

                इसके लिए न्याय विभाग उन रणनीतियों और कार्यक्रमों को समर्थन देता है, जो वंचित लोगों की बाधाओं को दूर करते हैं। न्याय सेवा प्रदाताओं की संस्थागत क्षमता में सुधार करते हैं ताकि गरीबों और वंचित लोगों की कारगर तरीके से सेवा की जा सके।  न्याय तक पहुंच और वंचित समुदाय का कानूनी सशक्तिकरण का एक प्रमुख मानक लोगों में अधिकारों और पात्रता के बारे में जागरूकता फैलाना है। इसके लिए विभाग ने टेलीविजन के माध्यम से अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में व्यापक जागरूकता अभियान चलाने का प्रस्ताव किया है।

               टेलीविजन शिक्षा और जागरूकता के लिए कारगर माध्यम रहा है। इसके माध्यम से अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचा जा सकता है। यह हमारा अनुभव रहा है कि जागरूकता बढ़ाने के काम में लघु फिल्में व्यापक प्रभाव डालती हैं। लघु फिल्में अर्धशिक्षित और अशिक्षित लोगों के लिए उपयोगी होती हैं। न्याय विभाग मानव संसाधन विकास मंत्रालय तथा सूचना और प्रसारण मंत्रालय के साथ साझेदारी कर सामाजिक कानूनी विषयों पर लघु फिल्मों/ वृत्त चित्रों का एक पूल बनाना चाहता है। जिसे साझेदारी में प्रसारित किया जाएगा। 

             वीडियो कंटेट विकसित करने वाले मंत्रालय/विभाग या एजेंसी को उचित क्रेडित दी जाएगी। न्याय विभाग कानूनी साक्षरता वीडियो प्रतियोगिता 2017 का आयोजन कर रहा है। 8 विषयों पर सिविल सोसायटी, व्यक्तियों, शैक्षिक संस्थानों से प्रविष्टियां आमंत्रित की गयी हैं। 8 विषयों में बाल अधिकार, महिला अधिकार, विशेष आवश्यकताओं वाले लोगों के अधिकार, विचाराधीन कैदियों के अधिकार तथा मौलिक कर्तव्यों में समाज के सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों का कल्याण तथा जाति अत्याचार, नस्ली हिंसा से प्रभावित लोगों, किशोर न्याय तथा वन और स्वदेशी समुदायों का कल्याण है।

               विभाग ने विभिन्न श्रेणियों में लघु फिल्मों/वृत्त चित्रों के लिए पुरस्कारों की घोषणा करके कानूनी सहायता और वंचितों के सशक्तिकरण के क्षेत्र में काम करने वाले सिविल सोसायटी, व्यक्तियों, शैक्षिक संस्थानों के प्रयासों को सम्मानित करने का निर्णय लिया है।

Thursday, 2 March 2017

‘देश में मेडिकल शिक्षा को बड़ा प्रोत्‍साहन’

                केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि भारत सरकार ने शैक्षिक सत्र 2017-18 के लिए विभिन्‍न मेडिकल कॉलेजों तथा अस्‍पतालों में 4,000 पीजी मेडिकल सीटें बढ़ाने की मंजूरी दी है। 

            सीटों की संख्‍या की दृष्‍टि से यह अब तक की सबसे बड़ी मंजूरी है। अब कुल 35117 पीजी मेडिकल सीटें उपलब्‍ध हैं। नड्डा ने प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्‍व और निंरतर निर्देशन के लिए धन्‍यवाद देते हुए कहा कि इससे तृतीयक स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल का हमारा संकल्‍प सुदृढ़ होगा। देश में चिकित्‍सा शिक्षा में सुधार होगा। स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने बताया कि कुल वृद्धि में 2046 सीटें मेडिकल कॉलेजों में हैं। क्‍लिनिकल विषयों में पीजी की सीटें बढ़ाने की आवश्‍यकता को देखते हुए सरकार ने सरकारी मेडिकल कॉलेजों में क्‍लिनिकल विषयों में शिक्षक विद्यार्थी अनुपात में संशोधन का फैसला किया था। 

             केवल इसी कदम से 71 कॉलेजों में 1,137 अतिरिक्‍त सीटों का सृजन हुआ। कुल 212 सरकारी कॉलेजों में से अनेक कॉलेज अपने प्रस्‍ताव भेज रहे हैं, और आशा की जाती है कि मार्च, 2017 के दौरान कम से कम 1,000 और सीटें जोड़ी जाएगी। इसमें एमडी/एमएस की समकक्ष डीएनबी की सीटें शामिल हैं।

               पिछले एक वर्ष में डीएनबी की सीटें 2,147 बढ़ी हैं। नड्डा ने कहा कि अब तक देश में पीजी मेडिकल  की कुल 4,143 सीटें जोड़ी गई हैं। मार्च, 2017 के दौरान 1000 से अधिक और सीटे जोड़ी जाएंगी। स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने कहा कि इस तरह बजट घोषणा में देश में 5000 पीजी मेडिकल सीटें बढ़ाने का लक्ष्‍य शीघ्र पूरा कर लिया जाएगा।

Friday, 24 February 2017

खरीफ की फसल : रिकॉर्ड 297 मिलियन टन

            राजग सरकार ने लोगों को एक व्‍यवहार्य कैरियर विकल्‍प के रूप में कृषि को अपनाने के लिए प्रोत्‍साहित करने के वास्‍ते स्‍थायी ग्रामीण बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए योजनाएं शुरू की है।

   सरकार की योजना देश के सबसे पिछड़े जिलों में बदलाव कर इसे भारत में परिवर्तन का मॉडल बनाना है। इसमें कच्‍छ में गुजरात प्रयोग उपयोगी साबित हो रहा है। इस समय ध्‍यान देश के 100 सबसे पिछडे जिलों पर है, जिनमें से अधिकतर तीन राज्‍यों - बिहार, उत्‍तर प्रदेश और मध्‍य प्रदेश में है। इन तीन राज्‍यों में ही पूरे देश के 70 सबसे अधिक पिछड़े जिले हैं। पूर्ववर्ती सरकारों ने कई योजनाएं विशेष रूप से सबसे पिछड़े जिलों के लिए शुरू की। वे शायद इसलिए असफल रही, क्‍योंकि उनमें अधिक ध्‍यान गरीबी उन्‍मूलन और अस्‍थायी रोजगार सृजन पर दिया गया था।

             उन्‍होंने ग्रामीण बुनियादी ढांचा तैयार नहीं किया था और सड़क‍ सिंचाई तथा संपर्क के अभाव में कृषि क्षेत्रों को भी लाभदायक नहीं बना सके। प्रधानमंत्री बनने से पहले मुख्‍यमंत्री के तौर पर नरेन्‍द्र मोदी ने भूकंप से तबाह हुए और निराश कच्‍छ के रन को आशावादी भूमि में परिवर्तित कर दिया। नरेन्‍द्र मोदी ने 2003 से 2014 तक गुजरात में दहाई के आंकड़े की कृषि वृद्धि का युग बनाने का नाबाद रिकॉर्ड कायम किया है, जबकि उस समय राष्‍ट्रीय औसत दो प्रतिशत से कम पर था। मोदी ने अगले चार वर्षों में भारतीय किसानों की आय को दोगुना करने की भी प्रतिज्ञा ली है। 

               गुजरात के कृषि क्षेत्र की इस सफल दास्‍तां से प्रेरित होकर मध्‍य प्रदेश छत्‍तीसगढ़ और महाराष्‍ट्र जैसे कई अन्‍य राज्‍यों ने एक ऐसे राज्‍य की तकनीकों को अपनाया है, जिसे कभी भी कृषि प्रधान राज्‍य नहीं माना जाता था। इसका सबसे बड़ा कारण राज्‍य का विशाल सौराष्‍ट्र क्षेत्र है जहां प्रतिवर्ष सूखा पड़ने से लोगों और जानवरों का पलायन होता था। कृषि क्षेत्र की वृद्धि की कार्यनीति बेहतर सिंचाई, खेती के आधुनिक उपकरण, किफायती कृषि ऋण की आसानी से उपलब्‍धता 24 घंटे बिजली और कृषि उत्‍पादों का तकनीक अनुकूल विपणन पर तैयार की गई थी। इन प्रत्‍येक पहलों में बड़ी संख्‍या में नवीन योजनाएं बनाई। उनका कार्यान्‍वयन किया गया था। 

            केंद्र की राजग सरकार उनके अनुभव को पूरे देश में दोहराने की कोशिश कर रही है। कृषि भूमि की स्‍वास्‍थ्‍य स्थिति का पता लगाने के लिए मृदा जांच कृषि क्रांति की दिशा में एक प्रमुख कदम है, जबकि नीम लेपित यूरिया दूसरा कदम है। इस दिशा में अन्‍य कदम बांध निर्माण, जलाशयों और अन्‍य जल संरक्षण विधियों के जरिए जल संरक्षण, भू-जल स्‍तर बढ़ाना, टपक सिंचाई को बढ़ावा देकर पानी की बर्बादी कम करना, मृदा की उर्वरकता का अध्‍ययन कर फसलों के तरीकों में बदलाव करना, पानी की उपलब्‍धता और बाजार की स्थिति है।

           विद्युतीकरण, पंचायतों में कंप्‍यूटरीकरण, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के जरिए सड़क निर्माण के माध्‍यम से प्रौद्योगिकी उपलब्‍ध कराने से जमीनी स्‍तर पर विकास सुनिश्चित होगा। सड़क निर्माण से प्रत्‍येक गांव के लिए बाजार और इंटरनेट संपर्क उपलब्‍ध कराने में भी मदद मिलेगी। पहली बार देश के इतनी अधिक संख्‍या में गरीब बैंक खाताधारक बने है। जनधन योजना के अंतर्गत लगभग 35 करोड़ नए खाते खोले गए है। यह वित्‍तीय समावेशन गतिशील कृषि अर्थव्‍यवस्‍था का केंद्र है। वित्‍तीय वर्ष में सरकार ने सीधे नकद हस्‍तांतरण के जरिए 50,000 करोड़ रूपये की बचत की है। 50 मिलियन गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों के लिए नि:शुल्‍क रसोई गैस प्रदान करने से लाखों परिवारों के जीवन में बदलाव आ रहा है। 

             सबसे अधिक वार्षिक आवंटन और कृषि श्रमिकों की उपलब्‍धता सुनिश्चित कर ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना को दोबारा तैयार किया गया है। इनसे श्रमिकों द्वारा अपनी पारंपरिक कृषि श्रम को छोड़कर शहरों की ओर पलायन भी कम होगा। कृषि क्षेत्र लाभदायक कैसे बन सकता है? इस दशक के अंत तक कृ‍षकों की आय दोगुनी कैसे हो सकती है? क्‍या इससे ग्रामीण ऋणग्रस्‍तता और किसानों की आत्‍म हत्‍या को  रोकना सुनिश्चित किया जा सकता है?  हां ये सब संभव हो सकता है अगर प्रधानमंत्री ने जो गुजरात में हासिल किया है उसे राष्‍ट्रीय स्‍तर पर दोहराने में सक्षम होते है तो। मोदी ने आम आदमी को अपने आर्थिक गाथा में महत्‍वपूर्ण स्‍थान पर रखा है। उन्‍होंने भारतीय किसानों के प्रति काफी विश्‍वास व्‍यक्‍त किया है। 

            अपनी वृद्धि की परिकल्‍पना में कृषि को केंद्रीय मंच पर लाये हैं। कृषि क्षेत्र में परिवर्तन के लिए आवंटन की नई योजनाओं से इस आकर्षक कहानी का पता लगता है। कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों के लिए अगले वर्ष 1.87 लाख करोड़ रूपये का आवंटन किया गया है। इसके लिए प्रमुख क्षेत्र मनरेगा तथा सरल कृषि ऋण और बेहतर सिंचाई की उपलब्‍धता है। सिंचाई कोष और डेयरी कोष में काफी वृद्धि की गई है। कृषि ऋण योजना के साथ फसल बीमा योजना के अंतर्गत फसल बीमा के लिए दस लाख करोड़ दिए गए है, जो पिछले वर्षों की तुलना में काफी अधिक है। 

          अधिक ऋण से कृषि निवेश को बढ़ावा मिलेगा। खाद्य प्रसंस्‍करण औद्योगिकीकरण के लिए प्रेरणा मिलेगी। इससे किसानों को स्‍थायीत्‍व और बेहतर लाभ प्राप्‍त होगा। इससे ग्रामीण भारत  में रोजगार के अवसर भी बढ़ेगे। इस मौसम में रबी की आठ प्रतिशत से अधिक फसल लगाई गई है। खबरों में कहा गया है कि बेहतर वर्षा के कारण इस बार खरीफ की फसल रिकॉर्ड 297 मिलियन टन हो सकती है।

            बेहतर सड़क निर्माण, 2000 किलेमीटर की तटीय संपर्क सड़क और भारत नेट के अंतर्गत 130,000 पंचायतों को उच्‍च गति के ब्राडबैंड प्राप्‍त होने से निश्चित रूप से कृषि उत्‍पादों की मार्केटिंग में सुधार और बेहतर कीमतें मिलेंगी, जिसके कारण यह एक लाभदायक कैरियर विकल्‍प हो सकता है। इन नीति संचालित, लक्ष्‍य आधारित उपायों के कार्यान्‍वयन से कृषि उत्‍पादन में काफी उछाल आयेगा और सभी के लिए भोजन तथा देश से गरीबी पूर्ण रूप से समाप्‍त करने का सपना साकार होगा।

Thursday, 23 February 2017

भारत में 235 होम्‍योपैथिक अस्‍पताल, 8,000 क्‍लीनिक

                आयुष राज्‍य मंत्री श्रीपद येसो नाइक ने नई दिल्‍ली में ‘होम्‍योपैथिक औषध उत्‍पादों का नियमन : राष्‍ट्रीय एवं वैश्विक रणनीतियों’ पर विश्‍व एकीकृत चिकित्‍सा फोरम का उद्घाटन किया।

            इस अवसर पर आयुष मंत्री ने कहा कि भारत में होम्‍योपैथी ने काफी अच्‍छी तरह से संस्‍थागत स्‍वरूप हासिल कर लिया है। हमारे यहां सार्वजनिक क्षेत्र में 235 होम्‍योपैथिक अस्‍पताल और 8,000 से भी ज्‍यादा क्‍लीनिक हैं। उन्‍होंने कहा कि भारत में ज्‍यादातर उत्‍पादन संयंत्र जीएमपी के अनुरूप हैं। ये गुणवत्‍ता, पैकेजिंग एवं वितरण से संबंधित नीतियों का पालन करते हैं। उन्‍होंने यह भी कहा कि ये सभी उत्‍पादन इकाइयां औषधि और प्रसाधन सामग्री कानून के दायरे में आती हैं। उनके लाइसेंस का नवीकरण नियमित गुणवत्‍ता परीक्षण एवं व्‍यापक निरीक्षण पर निर्भर करता है। 

              श्रीपद नाइक ने कहा कि एक ऐसे उच्‍चस्‍तरीय रणनीतिक आदान-प्रदान प्‍लेटफॉर्म की निश्चित तौर पर जरूरत है, जहां हितधारक अपने मूल कार्य संबंधी संदर्भों से इतर आपस में एकजुट हो सकें। उन्‍होंने कहा कि इस फोरम से इस जरूरत की पूर्ति की जा सकती है। मंत्री ने कहा कि अन्‍य देशों में होम्‍योपैथिक दवाओं की अनुपलब्‍धता और इन दवाओं के लिए कठोर या नियामक प्रावधानों के अभाव के कारण होम्‍योपैथी का अब तक व्‍यापक रूप से उपयोग करना संभव नहीं हो पाया है। 

                 आयुष मंत्रालय में सचिव अजित एम.शरण ने भी इस बात पर खुशी जताई कि सीसीआरएच के जरिये मंत्रालय इस तरह के अनूठे कार्यक्रम का आयोजन करके वैश्विक स्‍तर पर अपनी अगुवाई का प्रदर्शन कर सकता है। सीसीआरएच के महानिदेशक डॉ. राज के.मनचंदा ने उम्‍मीद जताई कि इस फोरम से विश्‍वभर में नियामकीय ढांचे को मजबूत करने के लिए और ज्‍यादा परिचर्चाएं करने को बढ़ावा मिल सकता है। इसके साथ ही इस बात का आश्‍वासन दिया जा सकता है कि होम्‍योपै‍थी के उपयोगकर्ताओं की व्‍यापक पहुंच उच्‍च गुणवत्‍ता वाली होम्‍योपैथिक दवाओं तक संभव हो सकती है। 

             विश्‍व एकीकृत चिकित्‍सा फोरम (डब्‍ल्‍यूआईएमएफ) के निदेशक डॉ. रॉबर्ट वैन हेजलेन के साथ-साथ फोरम के अंतर्राष्‍ट्रीय सलाहकारों ने भी इतने सारे देशों के नियामकों और होम्‍योपैथिक उद्योगपतियों को अपनी चिंताओं एवं विभिन्‍न मसलों को साझा करने के लिए एक प्‍लेटफॉर्म उपलब्‍ध कराने के चुनौतीपूर्ण कार्य को बढि़या ढंग से निभाने के लिए भारत सरकार का धन्‍यवाद किया। इस अवसर पर होम्‍यो‍पैथिक दवाओं के क्षेत्र में सहयोग के लिए होम्‍योपैथिक फार्माकोपिया कन्‍वेंशन ऑफ द यूनाइटेड स्‍टेट्स और भारत के संगठनों अर्थात भारतीय औषधि एवं होम्‍योपैथी के औषधकोश आयोग (पीसीआईएमएंडएच) और केन्‍द्रीय होम्‍योपैथी अनुसंधान परिषद (सीसीआरएच) के बीच एक सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्‍ताक्षर किये गये। 

             इस दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन आयुष मंत्रालय और केन्‍द्रीय होम्‍योपैथी अनुसंधान परिषद (सीसीआरएच) द्वारा किया जा रहा है। जिसमें भारतीय औषधि एवं होम्योपैथी के औषधकोश आयोग और केन्‍द्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की ओर से सहायता दी जा रही है। होम्‍योपैथिक दवा उद्योग की प्रगति में भारत के एक महत्‍वपूर्ण देश के रूप में होने को लेकर बढ़ती अन्‍तर्राष्‍ट्रीय अवधारणा को ध्‍यान में रखते हुए यह अपनी तरह का पहला फोरम है।

             दवा कानून निर्माता, नियामक, निर्माता एवं विभिन्‍न नियामक प्राधिकरणों के फार्माकोपियल विशेषज्ञ, जाने-माने वैज्ञानिक संगठन और 25 देशों के दवा उद्योगों के प्रतिनिधि इस फोरम की दो दिवसीय बैठक में भाग ले रहे हैं, जिसमें होम्‍योपैथिक दवा उद्योग के कार्रवाई योग्‍य पहलुओं की रणनीति तैयार की जाएगी, जिससे इस क्षेत्र में वैश्विक स्‍तर पर अनुकूलन को बढ़ावा मिलेगा। फोरम की उपर्युक्‍त बैठक के दौरान अनेक मसलों पर विचार-विमर्श किया जाएगा। विभिन्‍न देशों में मौजूदा नियाम‍कीय स्थिति, दुनिया के अनेक महत्‍वपूर्ण देशों में संभावित व्‍यापार अवसर, नियामकीय चुनौतियों के संभावित समाधान, राष्‍ट्रीय एवं वैश्विक स्‍तर पर चुनौतियों से कारगर ढंग से निपटने के लिए ज्ञान एवं नेटवर्क का निर्माण करना इत्‍यादि इन मसलों में शामिल हैं।


Wednesday, 22 February 2017

गर्भवती महिलाओं के लिए चिंता

           महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती मेनका संजय गांधी ने बच्चों को जन्म देने के लिए  गर्भवती महिलाओं को सी-सेक्शन सर्जरी के लिए मजबूर करने की अस्पतालों की बढ़ती प्रवृत्ति के बारे में गहरी चिंता व्यक्त की है। 

         विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी सिफारिशों में कहा है कि सी-सेक्शन सर्जरी सामान्य रूप से कुल डिलिवरी की 10 से 15 प्रतिशत होनी चाहिए। हालांकि राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण परिवार-4 रिपोर्टों में इस प्रतिशतता को बहुत अधिक बताया गया है। तमिलनाडु में यह प्रतिशतता 34 प्रतिशत और तेलंगाना में 58 प्रतिशत पायी गयी है। निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम में यह स्थिति चिंताजनक रूप से बहुत अधिक है। तेलंगाना में, निजी अस्पतालों में सी-सेक्शन डिलिवरी करवाने वाली  महिलाओं की संख्या कुल डिलिवरी की 75 प्रतिशत है। श्रीमती मेनका संजय गांधी को सुबर्णा घोष की एक याचिका प्राप्त हुई है। 

           इस याचिका पर एक लाख से अधिक महिलाओं ने हस्ताक्षर कर रखे हैं। श्रीमती मेनका संजय गांधी ने इस मामले को स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा के साथ उठाया है। उन्होंने सुझाव दिया गया है कि इस खतरनाक प्रवृत्ति में कटौती करने का एक तरीका यह है कि सभी अस्पतालों और नर्सिंग होम में होने वाले सामान्य प्रसवों की तुलना में सी-सेक्शन सर्जरियों के संबंध में जानकारी का सार्वजनिक खुलासा करने का आदेश दिया जाए है। उन्होने यह भी सुझाव दिया है कि स्वास्थ्य मंत्रालय, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सहयोग से चिकित्सीय समुदाय के साथ भावी माताओं के साथ-साथ मिलकर एक अभियान चला सकता है। 

            स्वास्थ्य मंत्री को भेजे अपने संदेश में श्रीमती मेनका संजय गांधी ने इस ओर इशारा किया है कि सी-सेक्शन सर्जरी से न केवल माता के स्वास्थ्य पर बल्कि प्रसव के बाद उसके लगातार काम करने की क्षमता पर भी गंभीर प्रभाव पड़ता है। अधिकांश मामलों में सी-सेक्शन सर्जरी ने महिला के प्रजनन स्वास्थ्य को भी प्रभावित किया है।

Monday, 20 February 2017

भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इंटरनेट बाजार

            भारत ने प्रतिस्‍पर्धी कीमतों पर आसियान देशों को सुरक्षित आईसीटी उत्‍पाद देने की पेशकश की। इसके साथ ही ‘तकनीकी जानकारी’ एवं ‘वैज्ञानिक जानकारी’ साझा करने के अपने संकल्‍प को दोहराया। 

             असल में भारतीय दूरसंचार उत्‍पादों एवं सेवाओं को खरीदे जाने के लिए भारत दीर्घकालिक वित्‍त मुहैया कराने को इच्‍छुक है। यहां ‘भारत टेलीकॉम-2017’ का उद्घाटन करते हुए संचार मंत्री मनोज सिन्‍हा ने कहा कि भारतीय टेलीकॉम कंपनियां किसी भी मेजबान देश में समूचे दूरसंचार परितंत्र को विकसित करने के लिए प्रौद्योगिकियों को साझा करने और संयुक्‍त उत्‍पादन वाले उद्यमों की स्‍थापना करने की इच्‍छुक हैं। 

             आसियान-भारत संबंधों के 25 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित किए गए इस कार्यक्रम में मंत्री ने प्रतिभागी देशों से यह सुनिश्‍चित करने का आग्रह किया कि भारतीय दूरसंचार उत्‍पाद एवं सेवाएं उनकी पहली पसंद होनी चाहिए, क्‍योंकि वे डिजिटल कनेक्‍टिविटी से जुड़े कदम तेजी से उठा रहे हैं। सिन्‍हा ने यह जानकारी दी कि नवंबर, 2015 में आयोजित किए गए 13वें आसियान-भारत शिखर सम्‍मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 अरब अमेरिकी डॉलर की ऋण रेखा देने की प्रतिबद्धता व्‍यक्‍त की थी, ताकि भारत और आसियान के बीच भौतिक एवं डिजिटल कनेक्‍टिविटी में सहायक परियोजनाओं को बढ़ावा दिया जा सके। 

                   मंत्री ने कहा कि लोगों की जरूरतों की पूर्ति के लिए नई प्रौद्योगिकी एवं उत्‍पाद विकसित करने हेतु दोनों ही पक्षों के पास पूरक कौशल, विशाल बाजार एवं आवश्‍यक क्षमता हैं। सिन्‍हा ने कहा कि भारत के संचार उद्योग ने पिछले दशक के दौरान उल्‍लेखनीय प्रगति की है। 88 के समग्र दूरसंचार घनत्‍व एवं 53 के ग्रामीण दूरसंचार घनत्‍व के साथ भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा दूरसंचार नेटवर्क बन गया है।

               दुनिया में न्‍यूनतम मोबाइल दरें भारत में भी होने का उल्‍लेख करते हुए सिन्‍हा ने कहा कि भारत पहले ही अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इंटरनेट बाजार बन गया है, जहां 220 मिलियन से भी ज्‍यादा ब्रॉडबैंड ग्राहक और 450 मिलियन से भी अधिक उपयोगकर्ता (यूजर्स) हैं। इस मामले में भारत केवल चीन से ही पीछे है। दूरसंचार सचिव जे.एस. दीपक ने कहा कि भारत एवं आसियान के बीच साझेदारी की असीम संभावनाएं हैं। जीएसएम, ब्रॉडबैंड, ई-एजुकेशन, टेली-मेडिसिन, आपदा प्रबंधन और क्षमता निर्माण जैसे क्षेत्रों में इस तरह की विशिष्‍ट साझेदारी को तलाशा जा सकता है, जो दोनों ही पक्षों के लिए फायदेमंद साबित हो।

Sunday, 19 February 2017

‘साइंस एक्‍सप्रेस : देश के 6 लाख से अधिक गांवों तक पहुंच

                 संयुक्‍त रूप से सफदरजंग रेलवे स्‍टेशन से साइंस एक्‍सप्रेस क्‍लाइमेट एक्‍शन स्‍पेशल (एसईसीएएस) के 9वें चरण को हरी झंडी। जहां पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) अनिल माधव दवे एवं केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन रेलवे स्‍टेशन पर उपस्थित थे, केंद्रीय रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये इस समारोह को हरी झंडी दिखाई। 

         पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) अनिल माधव दवे ने कहा कि भविष्‍य में साइंस एक्‍सप्रेस को देश के 6.5 लाख गांवों तक पहुंचना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि जब तक रेल गाड़ी जन आंदोलन एवं जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए व्‍यक्तिगत पहल करने एवं कदम उठाने के लिए लोगों को प्रोत्‍साहित करने के एक माध्‍यम के रूप में तब्‍दील नहीं हो जाती, यह जमीनी स्‍तर पर अपने प्रयासों में सफल नहीं होगी। केवल संगोष्ठियों में चर्चा के एक बिन्‍दु के रूप में ही सिमट कर रह जाएगी। दवे ने बताया कि ‘किसी व्‍यक्ति विशेष को क्‍या करना चाहिए, सरकारों को क्‍या करना चाहिए, समाज को क्‍या करना चाहिए, सभी की भूमिका निर्धारित की जानी चाहिए’।

                   मंत्री ने रेखांकित किया कि कार्यों में पारदर्शिता होनी चाहिए। करदताओं के पैसे का प्रत्‍येक हिस्‍सा स‍ही तरीके से उपयोग में लाया जाना चाहिए। यह सुनिश्चित किए जाने के प्रयास जारी रखे जाना चाहिए कि लोगों तक पैसा पहुंच सके। रेल मंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने कहा कि जलवायु परिवर्तन मानवता के लिए एक बड़ा खतरा है। इससे सहयोगात्‍मक प्रयासों के जरिये निपटा जाना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्‍व में भारत ने पेरिस सम्‍मेलन के दौरान जलवायु कार्ययोजना की पहल करने में एक महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई है। 

               उन्‍होंने यह भी कहा कि साइंस एक्‍सप्रेस न केवल जलवायु परिवर्तन के बारे में संदेश देगी बल्कि इस ज्‍वलंत मुद्दे पर बहस एवं परिचर्चाओं को भी जन्‍म देगी। साइंस एक्‍सप्रेस 8 सितंबर 2017 तक पूरे भारत में 68 स्‍थलों को कवर करने के लिए 19 हजार किलो मीटर से अधिक की अपनी यात्रा आरंभ करेगी एवं इसके 30 लाख आगंतुकों को आकर्षित करने की उम्‍मीद है। क्‍लाइमेट स्‍पेशल एक्‍शन इस प्रमुख मुद्दे पर जागरुकता का प्रयास करेगी। एक बेहतर भविष्‍य सुनिश्चित करने के हमारे प्रयासों को आगे बढ़ाएगी। 

              इस अवसर पर डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि ‘इसे और बड़ा आंदोलन बनाने के लिए आगे आने वाले वर्षों में 4 और रेल गाडि़यां अवश्‍य चलाई जानी चाहिए’। मंत्री ने यह भी कहा कि जलवायु परिवर्तन के महत्‍व का इस तथ्‍य से अनुमान लगाया जा सकता है कि यह एक मात्र थीम है जिसे साइंस एक्‍सप्रेस के लिए दो लगातार वर्षों के लिए चुना गया है। 

            पिछले वर्ष मिशन इनोवेशन एवं स्‍वच्‍छ ऊर्जा पर दो मंत्री स्‍तरीय बैठकों में भारत का प्रतिनिधित्‍व करने के लिए सैन फ्रांसिस्‍को की अपनी यात्रा का स्‍मरण करते हुए मंत्री ने कहा कि विश्‍व के 21 बड़े देशों ने स्‍वीकार किया कि प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्‍व में भारत ने स्‍वच्‍छ ऊर्जा, मिशन इनोवेशन के क्षेत्र में अद्वतीय पहल की है। भारत के पास विश्‍व का नेतृत्‍व करने की क्षमता एवं ताकत है। उन्‍होंने यह भी कहा कि सांइस एक्‍सप्रेस को लोगों का आंदोलन बनाने के लिए स्‍कूली छात्रों की भूमिका सर्वाधिक महत्‍वपूर्ण है। 

        संख्‍याओं की गिनती करते हुए मंत्री ने कहा कि अभी तक 1.5 करोड़ आगंतुक एवं 33801 विद्यालयों के छात्र साइंस एक्‍सप्रेस की यात्रा कर चुके हैं। मंत्री ने केंद्र एवं राज्‍यों के सभी विभागों एवं एजेंसियों तथा साइंस एक्‍सप्रेस के संचालन में रेल गाड़ी में सवार शिक्षकों की भूमिका एवं योगदान की भी सराहना की। 

           इस अवसर पर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में सचिव अजय नारायण झा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकीविभाग  में सचिव आशुतोष शर्मा, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में अपर सचिव डॉ. अमिता प्रसाद, रेलवे बोर्ड के मेम्‍बर रवीन्‍द्र गुप्‍ता भी उपस्थित थे। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में सचिव अजय नारायण झा ने स्‍वागत भाषण दिया।

Wednesday, 15 February 2017

भारत का विदेश व्‍यापार 22115.03 मिलियन डॉलर

              निर्यात में सुधार का रुख जनवरी, 2017 के दौरान भी बरकरार रहा। जनवरी, 2017 के दौरान 22115.03 मिलियन अमेरिकी डॉलर (150559.98 करोड़ रुपये) मूल्‍य की वस्‍तुओं का निर्यात किया गया, जो जनवरी, 2016 में हुए निर्यात के मुकाबले डॉलर के लिहाज से 4.32 फीसदी ज्‍यादा है और रुपये के लिहाज से भी 5.61 फीसदी ज्‍यादा है। 

              अप्रैल-जनवरी 2016-17 के दौरान निर्यात कुल मिलाकर 220922.78 मिलियन अमेरिकी डॉलर (1484473.55 करोड़ रुपये) का हुआ, जो पिछले साल की समान अ‍वधि में हुए निर्यात के मुकाबले डॉलर के लिहाज से 1.09 फीसदी और रुपये के लिहाज से 4.50 फीसदी अधिक है। जनवरी, 2017 में गैर-पेट्रोलियम निर्यात 19422.86 मिलियन अमेरिकी डॉलर का हुआ, जबकि जनवरी, 2016 में इनका निर्यात 19111.38 मिलियन अमेरिकी डॉलर का हुआ था। इस तरह गैर-पेट्रोलियम निर्यात में इस दौरान 1.6 फीसदी की वृद्धि‍ दर्ज की गई। 

            अप्रैल-जनवरी 2016-17 के दौरान गैर पेट्रोलियम नि‍र्यात 196254.10 मिलियन अमेरिकी डॉलर का हुआ जो पिछले साल की समान अवधि में हुये निर्यात के मुकाबले 2.2 फीसदी अधिक है। विश्व व्यापार संगठन के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, नवंबर 2016 के दौरान निर्यात में वृद्धि पिछले साल के समान महीने के मुकाबले संयुक्त राज्य अमेरिका (2.63 फीसदी), यूरोपीय संघ (5.47 फीसदी) और जापान (13.43 फीसदी) में दर्ज की गई है। वहीं, नवंबर 2016 के दौरान निर्यात में कमी पिछले साल के समान महीने के मुकाबले चीन (-1.51 फीसदी) में दर्ज की गई है। 

               आयात, जनवरी, 2017 के दौरान 31955.94 मिलियन अमेरिकी डॉलर (217557.32 करोड़ रुपये) मूल्‍य की वस्‍तुओं का आयात किया गया, जो जनवरी, 2016 में हुए आयात के मुकाबले डॉलर के लिहाज से 10.70 फीसदी ज्‍यादा है और रुपये के लिहाज से 12.07 फीसदी ज्‍यादा है। अप्रैल-जनवरी, 2016-17 के दौरान आयात कुल मिलाकर 307311.86 मिलियन डॉलर (2065656.42 करोड़ रुपये) का हुआ, जो पिछले साल की समान अवधि में हुए आयात के मुकाबले डॉलर के लिहाज से 5.81 फीसदी और रुपये के लिहाज से 2.57 फीसदी की गिरावट दर्शाता है। 

            कच्‍चे तेल एवं गैर-तेल का आयात,  जनवरी, 2017 के दौरान 8140.83 मिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्‍य के तेल का आयात किया गया, जो पिछले साल के समान महीने में हुए आयात के मुकाबले 61.07 फीसदी ज्‍यादा है। इसी तरह जनवरी, 2017 के दौरान 23815.11 मिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्‍य का गैर-तेल आयात होने का अनुमान है, जो पिछले साल के समान महीने में हुए आयात के मुकाबले 0.01 फीसदी ज्‍यादा है। 

             समग्र व्‍यापार संतुलन, कुल मिलाकर व्‍यापार संतुलन में बेहतरी दर्ज की गई है। वाणिज्‍यि‍क वस्‍तुओं एवं सेवाओं को एक साथ ध्‍यान में रखते हुए समग्र व्‍यापार घाटा अप्रैल-जनवरी, 2016-17 के दौरान 38073.08 मिलियन अमेरिकी डॉलर का रहने का अनुमान है, जो अप्रैल-जनवरी 2015-16 में दर्ज किए गए 54187.74 मिलियन अमेरिकी डॉलर के व्‍यापार घाटे से 29.7 फीसदी कम है।

Tuesday, 14 February 2017

दिल्ली वसंतोत्सव : 80 देशों के 6500 से अधिक विदेशी खरीददार

             दुनिया के सबसे बड़े हस्तशिल्प और उपहार मेले के 43वें संस्करण, आईएचजीएफ- 2017 के दिल्ली दिल्ली वसंतोत्सव का आरंभ 16 फरवरी, 2017 को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में स्थित इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट, ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे में होगा। 

          लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड ने इसे एक ही छत के नीचे लगने वाले हस्तकला प्रदर्शकों को दुनिया के सबसे बड़े समूह के रूप में मान्यता दी है। ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक राकेश कुमार ने बताया कि यह मेला 16 से 20 फरवरी, 2017, तक आयोजित होने वाला यह मेला 1,97,000 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला होगा। देश भर से 900 स्थायी बाजारों (मार्ट) सहित 3,000 से अधिक प्रदर्शक, चौदह उत्पाद श्रेणियों से संबंधित उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला को प्रदर्शित करेंगे जिनमें घरेलू बर्तन, होम फर्निशिंग, फर्नीचर, उपहार और सजावटी समान, लैंप और लाइटिंग क्रिसमस और उत्सवी सजावटी समान, फैशन गहने और सामान, स्पा, कारपेट और कालीन, बाथरूम सामान, उद्यान उपकरण, शैक्षिक खिलौने और गेम्स, हस्तनिर्मित कागज उत्पाद और स्टेशनरी तथा चमड़े के बैग शामिल हैं।

                अपनी आवश्यकताओं के अनुसार इस मेगा मेले में 80 देशों से ज्यादा देशों के 6500 से अधिक विदेशी खरीददार, भारतीय घरेलू खरीददारों के आने की उम्मीद है। प्रदर्शनी के स्थान में बढोत्तरी और आगंतुकों की संख्या में वृद्धि से यह संकेत मिलता है कि यह मेला भारत के साथ साथ अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय के खरीददारों के लिए भी कितना महत्तवपूर्ण है।

              यह मेला यह भी दर्शाता है कि विदेशी और देशी खरीददारों के लिए कितना महत्वपूर्ण है जहां उनके लिए एक छत के नीचे घरेलू संबंधी, लाइफस्टाइल, फैशन और कपड़ा उत्पाद उपलब्ध कराए जाते हैं। घर, जीवन शैली, फैशन और वस्त्र उद्योग के लिए दुनिया के सबसे बड़े शो में कच्चे माल से निर्मित 2,000 से अधिक उत्पादों की एक विस्तृत श्रृखंला पेश की जाएगी जिसमें  लकड़ी, धातु, बेंत और बांस, प्राकृतिक रेशों से बने वस्त्र, ऊन, रेशम, जूट, पत्थर, चमड़े, टेराकोटा, लाख और वनस्पति रंग शामिल हैं। 

            इस शो के मुख्य आकर्षणों के तहत उत्तर पूर्वी क्षेत्र और जोधपुर मेगा क्लस्टर के उत्पादों की एक विषयगत प्रदर्शनी प्रस्तुत की जाएगी। लकड़ी के उत्पादों, लकड़ी के हस्तशिल्प वस्तुओं पर एक मंडप इसमें लगा रहेगा। उत्पादन तकनीक, कौशल विकास, जीएसपी योजना, प्रवृत्तियां और पूर्वानुमान, केंद्रीय बजट और आगामी जीएसटी पर चर्चा करने के लिए संबंधित जानकारीपूर्ण सेमिनार भी इस दौरान आयोजित किए जाएंगे। घरेलू खुदरा बाजार में अभूतपूर्व वृद्धि को साकार करने के उद्देश्य से परिषद ने ऑटम 2014 के दौरान 

               घरेलू खुदरा व्यापारियों और ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए आईएचजीएफ -दिल्ली मेले के दरवाजे खोल दिये थे। तब से, प्रमुख खुदरा ब्रांड और ई कॉमर्स कंपनियां जैसे- गुड अर्थ, फर्नीचर रिपब्लिक, फैब इंडिया, वेस्ट साइड, आर्चीज लिमिटेड, डीएलएफ ब्रांड्स लिमिटेड, ऋहोम, शॉपर्स स्टॉप, लाइफस्टाइल ग्रुप, अरबन लैडर.कॉम, पीप्पेरफ्राई.कॉम, अजियो.कॉम, फैब फर्निश.कॉम, शॉपक्लूज.कॉम सहित अन्य दूसरी कंपनिया इस मेले में नियमित रूप से भाग ले रही हैं। इन कंपनियों ने मेले में भाग लेने के लिए खुद का पंजीकरण कराया है। मीडिया के साथ बातचीत में ईपीसीएच के ईडी राकेश कुमार ने बताया कि 1994 में अपनी स्थापना के बाद से, आईएचजीएफ- दिल्ली मेले ने भारत के हस्तशिल्प व्यापार मे एक महत्वपूर्ण योगदान दिया है। 

          इसने मेले में न केवल बड़ी संख्या में भारतीय निर्यातकों को भाग लेने के लिए सक्षम बनाया है बल्कि विदेशी खरीदारों को भी एक ही स्थान पर एक ही छत के नीचे उनकी आवश्यकता की चीजें मुहैया करायी हैं। उन्होंने कहा कि आईएचजीएफ द्वारा निभायी गयी सबसे महत्वपूर्ण भूमिका से देश की विदेशी मुद्रा आय में बढ़ोत्तरी हुई है और इससे रोजगार भी पैदा हुए हैं। 

          ईपीसीएच के चैयरमैन दिनेश कुमार ने कहा कि यह हकीकत है कि अमेरिका और यूरोप भारत के प्रमुख खरीददार हैं लेकिन इसके बावजूद ईपीसीएच अब अपना ध्यान लातिन अमेरिका, मध्य एशिया, अफ्रीका और दक्षिण पूर्व एशिया जैसे नए उभरते बाजारों पर केंद्रित कर रहा है।

              अप्रैल 2016 से दिसंबर 2016 के दौरान हस्तशिल्प के निर्यात में 12.10 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गयी, जो रूपये के संदर्भ में 17,939.05 रुपये करोड़ है। डॉलर के संदर्भ 2673.48 मिलियन अमेरिकी डॉलर के निर्यात के साथ इसमें 8.25ऽ की वृद्धि दर्ज की गयी। ईडी, ईपीसीएच ने बताया कि वर्ष 2016-17 के लिए निर्यात लक्ष्य 3600 मिलियन डॉलर (23,560.00 करोड़ रुपये) का रखा गया है और परिषद को उम्मीद है कि यह लक्ष्य प्राप्त कर लिया जाएगा। हस्तशिल्प निर्यात के विकास को बढ़ावा देने के लिए ईपीसीएच देश की एक नोडल एजेंसी है।

Monday, 13 February 2017

कोयला का 391.10 मिलियन टन उत्‍पादन, 1.6 प्रतिशत वृद्धि

                           कोयला मंत्रालय द्वारा पिछले वर्ष की प्रगति को और आगे बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा अनेक कदम उठाए गए हैं। 2015 में हुई कोयला खदानों की नीलामी के अनुरूप अब तक आवंटित 83 कोयला खदानों की नीलामी/आवंटन से खदान की जीवन अवधि/पट्टे की अवधि में 3.95 लाख करोड़ रूपये से अधिक की प्राप्‍ति होने का अनुमान है। 

           अक्‍टूबर, 2016 तक इन कोयला खदानों की वास्‍तविक राजस्‍व उगाही 2,779 करोड़ रूपये (रॉयल्‍टी, चुंगी तथा करों को छोड़कर) रही। 9 कोयला ब्‍लॉकों की विद्युत क्षेत्र को की गई नीलामी से उपभोक्‍ताओं को बिजली शुल्‍क में कमी के संदर्भ में लगभग 69,310.97 करोड़ रूपये के लाभ की संभावना है। देश में अप्रैल-नवंबर, 2016-17 के दौरान कच्‍चे कोयले का उत्‍पादन 391.10 मिलियन टन हुआ। पिछले वर्ष की इसी अवधि में कच्‍चे कोयले का उत्‍पादन 385.11 मिलियन टन हुआ था। अप्रैल-नवंबर ,2016 के दौरान कोयला उत्‍पादन में 1.6 प्रतिशत की समग्र वृद्धि दर्ज की गई। 30.11. 2016 को एनएलसीआईएल की लिग्‍नाइट खनन क्षमता 30.6 मिलियन टन वार्षिक रही।

                कंपनी ने अपनी विद्युत उत्‍पादन क्षमता 4275.50 मेगावाट (मार्च ,2016 में) से बढ़ाकर 4293.50 मेगावाट कर ली। इसमें 10 मेगावाट सौर विद्युत और 43.50 मेगावाट पवन विद्युत शामिल है। कोयला मंत्रालय ने देश में कोयला आयात में कमी लाने पर विशेष बल दिया है। सरकार ने 2015-16 में 20,000 करोड़ रूपये और चालू वर्ष के पहले 4 वर्षों में 4,844 करोड़ रूपये की बचत की है। इस मोर्चे पर किए जा रहे प्रयासों से मार्च 2017 तक आयातित कोयले की 15.37 एमटी मात्रा कम हो जाएगी। प्रधानमंत्री के डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के अनुरूप कोयला मंत्रालय ने अक्‍टूबर 2016 में ई-ऑफिस एप्‍लीकेशन को पूरी तरह लागू किया। अब मंत्रालय का फाइल कार्य इलेक्‍ट्रॉनिक तरीके से हो रहा है। 

                     डिजिटीकरण प्रक्रिया से मंत्रालय के कामकाज में पारदर्शिता और दक्षता आई है। इससे फाइलों की गति में तेजी आएगी। तेजी से निर्णय लिए जा सकेंगे। इससे फाइलों/रिकॉर्डों की तेजी से वापसी हो सकेगी। फाइलों और रिकॉर्डों के गुम या लापता होने की गुंजाइश कम रहेगी। वर्ष के दौरान अनेक आईटी कार्यक्रम शुरू किए गए। इनमें प्रत्‍यक्ष लाभांतरण के माध्‍यम से सीएमपीएफओ में ई-सेवा लागू करना, सीएमपीएफ में कंप्‍यूट्रीकरण-ई-सेवाएं (आंतरिक विकास), आधार संख्‍या को सीएमपीएफ खाता संख्‍या मानना, सीएमपीएफ योजना के अंतर्गत ठेके के श्रमिकों को कवर करना, शिकायत निवारण प्रणाली का नवीकरण तथा बाधारहित पेंशन के लिए स्‍व-प्रमाणित जीवन प्रमाण-पत्र शामिल हैं। 

                 कोल इंडिया लिमिटेड  (सीआईएल) के छोटे एवं मझौले क्षेत्र के उपभोक्‍ताओं के लिए कोयला आवंटन निगरानी प्रणाली (सीएएमएस) तथा घरेलू कोयले के उपयोग में लचीलापन  लाने के लिए कोल मित्र वेब पोर्टल जैसे अनेक नए पोर्टल लांच किए गए ताकि छोटे तथा मझौले क्षेत्र के लिए कोयला वितरण में पारदर्शिता लाई जा सके। कारोबार सहज बनाया जा सके। वाणिज्‍यिक खनन की दिशा में पहले कदम के रूप में राज्‍य के सार्वजनिक प्रतिष्‍ठानों द्वारा कोयले की बिक्री/वाणिज्‍यिक खनन की आवंटन के लिए 16 कोयला खदानों की पेशकश की गई। इन 16 कोयला खदानों में से 8 कोयला संपदा को कोयला खदान वाले मूल राज्‍य के लिए निर्धारित किया गया जबकि शेष कोयला खदानों को गैर-अतिथि राज्‍यों की सार्वजनिक प्रतिष्‍ठानों के लिए रखा गया। 

                  बाद में 5 कोयला खदानों का कोयला वाले राज्‍यों के सार्वजनिक प्रतिष्‍ठानों को आवंटित किया गया। 2 कोयला खदान गैर-अतिथि राज्‍यों के सार्वजनिक प्रतिष्‍ठानों को कोयले की बिक्री के लिए आवंटित किया गया। जनवरी, 2016 से नवंबर, 2016 की अवधि के दौरान कोयला खदान (विशेष प्रावधान) अधिनियम 2015 के अंतर्गत विद्युत क्षेत्र के लिए 3 तथा गैर-नियमन क्षेत्र के लिए 2 यानी 5 कोयला खदानों के मामले में आवंटन समझौते पर हस्‍ताक्षर किए गए। एक कोयला खदान यानी अमेलिया कोयला खदान का आवंटन बिजली के अंतिम उपयोग के लिए किया गया है। अब तक आवंटित 83 कोयला खदानों की नीलामी और आवंटन से खदान जीवन अवधि/पट्टे की अवधि में 3.95 लाख करोड़ रूपये से अधिक की प्राप्‍ति होगी। यह राशि पूरी तरह कोयला संपदा संपन्‍न राज्‍यों को मिलेगी। अक्‍टूबर, 2016 तक इन कोयला खदानों से 2,779 करोड़ रूपये (रॉयल्‍टी,चुंगी शेष तथा करों को छोड़कर) 2,779 करोड़ रूपये की वास्‍तविक राजस्‍व की प्राप्‍ति हुई।

                   विद्युत क्षेत्र को 9 कोयला ब्‍लॉकों की नीलामी से विद्युत शुल्‍क में कमी आई और इस कमी से उपभोक्‍ताओं को 69,310.97 करोड़ रूपये की लाभ की संभावना है। देश में 2016-17 के अप्रैल-नवंबर के दौरान 391.10 मिलियन टन कच्‍चे कोयले का उत्‍पादन हुआ पिछले वर्ष की इसी अवधि में 385.11 मिलियन टन कच्‍चा कोयले का उत्‍पादन हुआ था। अप्रैल-नवंबर, 2016 के दौरान कोयले के उत्‍पादन में 1.6 प्रतिशत की समग्र वृद्धि हुई। 2015-16 के दौरान कोयले के उत्‍पादन में देखी गई उच्‍च वृद्धि के कारण 01 अप्रैल, 2016 को ताप विद्युत परियोजना में 27 दिनों का कोयला भंडार जमा हो गया। सीआईएल ने 57.7 एमटी के प्रारंभिक स्‍टॉक के साथ चालू वित्‍त वर्ष (2016-17) की शुरूआत की। इसके परिणाम स्‍वरूप खदान निकास पर कोयले भंडारों के एकत्रीकरण की समस्‍या उत्‍पन्‍न हुई है। 

              कोयले के एकत्रित स्‍टॉक को समाप्‍त करने के लिए स्‍पॉट ई-नीलामी और लिंकेज को तर्कसंगत बनाने जैसे विशेष उपाय किए गए हैं। इस तरह 323.64 मिलियन टन उत्‍पादन की तुलना में अप्रैल-नवंबर, 2016 के दौरान 340.03 मिलियन टन कोयला सीआईएल द्वारा रवाना किया गया। एमसीएल तथा सीसीएल में कानून और व्‍यवस्था की समस्‍या के कारण उत्‍पादन और उठाव पर असर पड़ा है। इस वर्ष कोयला खदान वाले अधिकतर क्षेत्रों में भारी वर्षा हुई और इससे जून और सितंबर के बीच उत्‍पादन में कमी आई। कोयला कम्‍पनियों का उत्‍पादन नौ प्रतिशत की दर से बढ़ा है और आत्‍मनिर्भर होने के लिए पर्याप्‍त कोयला उपलब्‍ध है। 

               आयातित कोयले का प्रतिस्‍थापन घरेलू कोयले से करने के कारण विदेशी मुद्रा की बचत होती है। देश ने वर्ष 2015-16 में बीस हजार करोड़ रुपये बचाया। चालू वर्ष के पहले चार महीनों 4,844 करोड़ रुपये की बचत हुई। इस मोर्चे पर किए गए प्रयास से मार्च 2017 तक 15.37 एमटी आयातित कोयले की जगह घरेलू कोयला लेगा। प्रति वर्ष 4200 टन से कम आवश्‍यकता वाले मझोले और छोटे उद्योगों के लिए नई कोयला वितरण नीति (एनसीडीपी), 2007 के अन्‍तर्गत राज्‍य नामित एजेंसियों से कोयला लेना होगा। नई कोयला वितरण नीति (एनसीडीपी), 2007 में 27.9.2016 को संशोधन किया गया। राज्‍य नामि‍त एजेंसियों से कोयला लेने की मात्रा प्रतिवर्ष 4200 टन से बढ़ाकर 10 हजार टन कर दी गई। एनसीडीपी, 2007 में दिए गए नाम छोटे  और मध्‍यम क्षेत्र को संशोधित कर छोटे, मध्‍यम तथा अन्‍य कर दिया गया है। 

               छोटे, मध्‍यम तथा अन्‍य उद्योगों को कोयला वितरण करने के लिए प्रतिवर्ष आठ मिलियन टन निर्धारित किया गया है। इस मात्रे का बंटवारा पिछले उपयोग को देखते हुए विभिन्‍न राज्‍यों और केन्‍द्रशासित प्रदेशों में किया गया है। कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) के छोटे तथा मध्‍यम उपभोक्‍ताओं के लिए कोयला आवं‍टन निगरानी प्रणाली (सीएएमएस) से संबंधित वेब पोर्टल को कोयला, विद्युत, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) द्वारा 17 मार्च, 2016 को किया गया ताकि कारोबार में सहजता आए और एसएमई क्षेत्र को कोयला वितरण में पारदर्शिता लाई जा सके। कोल मित्र वेब पोर्टल की डिजाइन घरेलू कोयला उपयोग में लचीलापन के उद्देश्‍य से की गई है। 

               ऐसा सुरक्षित भंडार में से अधिक लागत सक्षम राज्‍यों/केन्‍द्र के स्‍वामित्‍व वाले या निजी क्षेत्र के उत्‍पादन स्‍टेशनों को कोयला अंतरण के माध्‍यम से किया जाता है। परिणाम स्‍वरूप उत्‍पादन लागत में कमी आती है। अन्‍तत: उपभोक्‍ताओं को बिजली की कम कीमत चुकानी पड़ती है। वेब पोर्टल का इस्‍तेमाल राज्‍य/केन्‍द्र की उत्‍पादन कम्‍पनियों द्वारा किया जाएगा ताकि तय मानक के बारे में सूचना तथा पिछले महीने के लिए बिजली के परिवर्तनीय शुल्‍क के साथ-साथ अतिरिक्‍त उत्‍पादन के लिए उपलब्‍ध मार्जिन प्रदर्शित हो। इसका उद्देश्‍य कोयल अंतरण के लिए उपयोग स्‍टेशनों की सहायता करना है। पोर्टल पर प्रत्‍येक कोयला आधारित स्‍टेशन को संचालन और वित्‍तीय मानकों, मात्रा तथा बिजली संयत्र को कोयला सप्‍लाई को स्रोत और खदान से बिजली संयंत्र की दूरी का डाटा होस्‍ट किया जाएगा।

                 कोयला लिंकेज को और तर्कसंगत बनाना तथा तीन फेज प्रगति को लागू करना। परिवहन लागत का अधिकतम लाभ लेने के उद्देश्‍य से वर्तमान कोयला संसाधनों तथा इन संसाधनों की संभाव्‍यता की विस्‍तृत समीक्षा के लिए जून 2014 में अंतर मंत्रालय कार्यबल का गठन किया गया। कार्यबल ने कोयला विद्युत, रेल, इस्‍पात, शिपिंग मंत्रालय तथा डीआईपीपी, सीईए, एनटीपीसी, सीआईएल, एससीसीएल, सहायक कोयला कम्‍पनियों तथा केपीएमजी के प्रतिनिधियों से अनेक दौर की बातचीत की। विद्युत क्षेत्र में कोयला लिंकेज को तर्कसंगत बनाने  से खदान से बिजली संयंत्र तक कोयला पहुंचाने की परिवहन लागत में कमी आई है और कोयला आधारित बिजली उत्‍पादन में सक्षमता बढ़ी है। विभिन्‍न खदानों से उपलब्‍धता के आधार पर कोयला लिंकेज आवंटन किया गया है। 

              तर्कसंगत बनाने की प्रक्रिया के भाग के रूप में 2015-16 के अंत तक 1,512.85 करोड़ रुपये की संभावित बचत की क्षमता वाले 29.818 एमटी कोयला लिंकेज को तर्कसंगत बनाया गया है। एनटीपीसी के आतंरिक संयंत्रों तथा इसकी संयुक्‍त उद्यम कम्‍पनियों को पुनर्गठित करने के लिए सीआईएल द्वारा एनटीपीसी के साथ कार्य किया गया। 8.05 एमटी रेल समर्थित टीपीपी से खदान टीपीपी के सुधार से 800 करोड़ रुपये की वार्षिक बचत होगी। उत्‍तरप्रदेश राज्‍य के 1.459 एमटी कोयला को तर्कसंगत रूप दिया गया। इससे 60.15 करोड़ रुपये की सालाना बचत होने की संभावना है। 

             सीआईएल ने महाराष्‍ट्र राज्‍य (महाजेनको) की तीन इकाइयों की 1 एमटी कोयला को सुनयोजित रूप दिया गया। इससे 90.57 करोड़ रुपये की वार्षिक बचत होगी। सरकार ने नवाचारी कदम उठाते हुए सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के उत्‍पादकों को ईंधन उपयोग सुनिश्चित करके बिजली की कीमत कम करने के लिए कोयले सप्‍लाई की अदला-बदली करने की अनुमति दे दी है। 

          यह सुविधा भविष्‍य में अन्‍य कोयला खपत वाले उद्योगों को भी मिल सकती है। निजी और सरकारी कम्‍पनियों के बीच सप्‍लाई अदला-बदली का उद्देश्‍य उद्योग द्वारा मुख्‍य रूप से बिजली क्षेत्र द्वारा घरेलू कोयले की खपत में सुधार करना है, क्‍योंकि उत्‍पादन अधिक हो रहा था और बिजली संयंत्रों के ट्रेक्‍शन के लिए मांग में कमी आ रही थी।