Monday, 20 February 2017

भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इंटरनेट बाजार

            भारत ने प्रतिस्‍पर्धी कीमतों पर आसियान देशों को सुरक्षित आईसीटी उत्‍पाद देने की पेशकश की। इसके साथ ही ‘तकनीकी जानकारी’ एवं ‘वैज्ञानिक जानकारी’ साझा करने के अपने संकल्‍प को दोहराया। 

             असल में भारतीय दूरसंचार उत्‍पादों एवं सेवाओं को खरीदे जाने के लिए भारत दीर्घकालिक वित्‍त मुहैया कराने को इच्‍छुक है। यहां ‘भारत टेलीकॉम-2017’ का उद्घाटन करते हुए संचार मंत्री मनोज सिन्‍हा ने कहा कि भारतीय टेलीकॉम कंपनियां किसी भी मेजबान देश में समूचे दूरसंचार परितंत्र को विकसित करने के लिए प्रौद्योगिकियों को साझा करने और संयुक्‍त उत्‍पादन वाले उद्यमों की स्‍थापना करने की इच्‍छुक हैं। 

             आसियान-भारत संबंधों के 25 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित किए गए इस कार्यक्रम में मंत्री ने प्रतिभागी देशों से यह सुनिश्‍चित करने का आग्रह किया कि भारतीय दूरसंचार उत्‍पाद एवं सेवाएं उनकी पहली पसंद होनी चाहिए, क्‍योंकि वे डिजिटल कनेक्‍टिविटी से जुड़े कदम तेजी से उठा रहे हैं। सिन्‍हा ने यह जानकारी दी कि नवंबर, 2015 में आयोजित किए गए 13वें आसियान-भारत शिखर सम्‍मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 अरब अमेरिकी डॉलर की ऋण रेखा देने की प्रतिबद्धता व्‍यक्‍त की थी, ताकि भारत और आसियान के बीच भौतिक एवं डिजिटल कनेक्‍टिविटी में सहायक परियोजनाओं को बढ़ावा दिया जा सके। 

                   मंत्री ने कहा कि लोगों की जरूरतों की पूर्ति के लिए नई प्रौद्योगिकी एवं उत्‍पाद विकसित करने हेतु दोनों ही पक्षों के पास पूरक कौशल, विशाल बाजार एवं आवश्‍यक क्षमता हैं। सिन्‍हा ने कहा कि भारत के संचार उद्योग ने पिछले दशक के दौरान उल्‍लेखनीय प्रगति की है। 88 के समग्र दूरसंचार घनत्‍व एवं 53 के ग्रामीण दूरसंचार घनत्‍व के साथ भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा दूरसंचार नेटवर्क बन गया है।

               दुनिया में न्‍यूनतम मोबाइल दरें भारत में भी होने का उल्‍लेख करते हुए सिन्‍हा ने कहा कि भारत पहले ही अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इंटरनेट बाजार बन गया है, जहां 220 मिलियन से भी ज्‍यादा ब्रॉडबैंड ग्राहक और 450 मिलियन से भी अधिक उपयोगकर्ता (यूजर्स) हैं। इस मामले में भारत केवल चीन से ही पीछे है। दूरसंचार सचिव जे.एस. दीपक ने कहा कि भारत एवं आसियान के बीच साझेदारी की असीम संभावनाएं हैं। जीएसएम, ब्रॉडबैंड, ई-एजुकेशन, टेली-मेडिसिन, आपदा प्रबंधन और क्षमता निर्माण जैसे क्षेत्रों में इस तरह की विशिष्‍ट साझेदारी को तलाशा जा सकता है, जो दोनों ही पक्षों के लिए फायदेमंद साबित हो।

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