काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान : एक सींग वाले गैंडे की जनसंख्या में वृद्धि
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान भारत का सबसे पुराना वन्य जीव संरक्षण क्षेत्र है। 1905 में इसे पहली बार अधिसूचित किया गया था। 1908 में इसका गठन संरक्षित वन के रूप में किया गया, जिसका क्षेत्रफल 228.825 वर्ग किलोमीटर था।
इसका गठन विशेष रूप से एक सींग वाले गैंडे के लिए किया गया था, जिसकी संख्या तब यहां लगभग 24 जोड़ी थी। 1916 में काजीरंगा को एक पशु अभयारण्य घोषित किया गया था। 1938 में इसे आगंतुकों के लिए खोला गया था। 1950 में इसे एक वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया। 429.93 वर्ग किलोमीटर के साथ वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत 1974 में काजीरंगा को राष्ट्रीय उद्यान के रूप में अधिसूचित किया गया, जो फिलहाल बढ़कर अब 899 वर्ग किमी. हो गया है।
काजीरंगा राष्ट्रीय पांच बड़े नामों के लिए प्रसिद्ध है, जिनमें गैंडा (2,401), बाघ (116), हाथी (1,165), एशियाई जंगली भैंस और पूर्वी बारहसिंघा (1,148) शामिल हैं। यह दुनिया में एक सींग वाले गैंडों की सबसे बड़ी आबादी वाला निवास स्थान है। विश्व में एक सींग वाले गैंडे की पूरी आबादी का लगभग 68ऽ भाग यहां मौजूद है। बाघों की बात की जाए तो यहां उनका घनत्व विश्व में सबसे सर्वाधिक घनत्वों में से एक है। यहां पूर्वी बारहसिंघा हिरण की लगभग पूरी आबादी रहती है।
इन पांच बड़े नामों के अलावा, काजीरंगा विशाल पुष्प और जीव जैव विविधता का समर्थन करता है। काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान उत्तर में ब्रह्मपुत्र नदी पर है, जिसके पूर्व में गोलाघाट जिले की सीमा से लेकर पश्चिम में ब्रह्मपुत्र नदी पर कालीयाभोमोरा पुल स्थित है। एक तरफ नदी में आने वाली वार्षिक बाढ़ का पानी पोषण लाता है जो एक उच्च उत्पादक बायोमास के उत्पादन में अग्रणी भूमिका निभाता है, लेकिन दूसरी तरफ बाढ़ से हुए कटाव के कारण मूल्यवान और प्रमुख निवास स्थानों का काफी नुकसान हो जाता है।
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के आसपास के क्षेत्रों में कई अधिसूचित जंगली और संरक्षित क्षेत्र हैं, जिनमें पनबारी रिजर्व फॉरेस्ट और दियोपहर प्रस्तावित रिजर्व फॉरेस्ट गोलाघाट जिले में, नगांव जिले में कुकुराकाता हिल रिजर्व फॉरेस्ट, बागसेर रिजर्व फॉरेस्ट, कामाख्या हिल रिजर्व फॉरेस्ट और दियोसुर हिल प्रस्तावित रिजर्व फॉरेस्ट, सोनितपुर जिले में भूमुरागौरी रिजर्व फॉरेस्ट, कार्बी आंगलोंग जिले में उत्तर कर्बी आंगलोंग वन्यजीव अभयारण्य शामिल हैं। काजीरंगा में गैंडों का अवैध शिकार हमेशा से ही एक गंभीर खतरा रहा है। लेकिन, स्थानीय लोगों के साथ समन्वय स्थापित करके पार्क के अधिकारियों द्वारा उठाए गए उत्कृष्ट संरक्षण उपायों की वजह से गैंड़ों की वर्तमान आबादी 2401 में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
काजीरंगा में गैंडे के अवैध शिकार का प्रमुख कारण पिछले कुछ वर्षों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में गैंडे के सींगों की कीमत में आई वृद्धि है। दीमापुर-मोरेह इसके लिए एक आसान मार्ग है जहां से इस क्षेत्र में अवैध हथियारों की उपलब्धता से गैंड़े का अवैध शिकार किया जाता है। राष्ट्रीय उद्यान देश के उत्तर पूर्वी क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है। वर्ष 2015-16 के दौरान राष्ट्रीय उद्यान में कुल 1,62,799 पर्यटकों ने दौरा किया, जिनमें 11,417 विदेशी पर्यटक शामिल थे। पर्यटकों की इस संख्या से 4.19 करोड़ रुपये का प्रवेश शुल्क राजस्व के रूप में अर्जित किया गया।
शिकार रोकने के उपाय, पार्क के अधिकारियों ने अवैध शिकार को रोकने के लिए सभी प्रयास किए हैं जिनमें कठोर गश्त और फील्ड ड्यूटी भी शामिल हैं। बुनियादी ढांचे की कमी, उपकरणों की कमी, स्टाफ की कमी, एक बहुत ही असुरक्षित सीमा, एक बहुत ही प्रतिकूल इलाका होने के बावजूद भी अवैध शिकार को रोकने के हरसंभव प्रयास किए गए हैं।
काजीरंगा राष्ट्रीय पार्क को वर्ष 2007 में एक टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था। तभी से इसे भारत सरकार के राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के अधीन आने वाले "सीएसएस प्रोजेक्ट टाइगर" के तहत पर्याप्त रूप में वित्तीय सहायता मिल रही है। वर्ष 2016-17 के दौरान प्राधिकरण को 1662.144 लाख (केंद्रीय हिस्सेदारी 1495.03 लाख रूपये) की मंजूरी दी गयी। काजीरंगा में 'प्रोजेक्ट टाइगर' के तहत एनटीसीए द्वारा प्रदान की गयी निधि से इलेक्ट्रॉनिक आई के रूप में एक इलेक्ट्रॉनिक निगरानी प्रणाली को स्थापित किया गया है।
इस योजना के तहत सात लंबे टावरों को विभिन्न स्थानों पर स्थापित किया गया है और नियंत्रण कक्ष से 24न्7 निगरानी रखने वाले थर्मल इमेंजिक कैमरे भी लगाएं हैं। असम की राज्य सरकार द्वारा गैंडों के अवैध शिकार सहित वन्यजीव अपराध से निपटने के लिए नीति और विधायी परिवर्तन कड़ाई से लागू करने हेतु वन्यजीव (संरक्षण) (असम संशोधन) अधिनियम, 2009 पेश किया गया। अपराध के लिए वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम के तहत सजा में बढ़ोत्तरी कर इसे न्यूनतम 7 साल कर दिया गया है। न्यूनतम जुर्माना 50 हजार से कम नहीं है।
वर्ष 2010 में सरकार ने 1973 सीआरपीसी की की 197 (2) धारा के तहत वन कर्मचारियों को प्रतिरक्षा के लिए हथियारों के इस्तेमाल करने की अनुमति प्रदान की। काजीरंगा नेशनल पार्क में अवैध शिकार को रोकने के लिए अतिरक्त सहायता प्रदान की गयी है जिसमें असम वन सुरक्षा बल के 423 कर्मी और 125 होमगार्डों की तैनाती की गई है।
सीमावर्ती कर्मचारियों को और अधिक आधुनिक हथियार मुहैया कराने की प्रक्रिया जारी है। राज्य सरकार के संबंधित विभागों के सदस्यों और तकनीकी विशेषज्ञों के साथ काजीरंगा जैव विविधता और विकास समिति का गठन किया गया है जो काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान सीमावर्ती क्षेत्रों में बेहतर संरक्षण के लिए विस्तृत रूप से ढांचागत विकास प्रदान करने में सहायता प्रदान करेंगे।
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