Monday, 21 November 2016

गरीब को आवास एक बड़ी चुनौती !
    'सभी को आवास एक बड़ी चुनौती" ! जी हां, देश की आवाम को आवास उपलब्ध कराना किसी चुनौती से कम नहीं। भारत सरकार ने इस चुनौती को स्वीकार किया है। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एलान किया है कि वर्ष 2022 तक सभी को आवास का प्रबंध किया जाएगा। भारत सरकार की कैबिनेट करीब आठ माह पूर्व ग्रामीण आवास योजना को स्वीकृति दे चुकी है। भारत सरकार ने इसे बाकायदा एक मिशन के तौर पर स्वीकार किया है। ताज नगरी आगरा में बाकायदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ग्रामीण आवास योजना का शिलान्यास कर गरीब के सपनों को पंख लगा दिये लेकिन क्रियान्वयन कैसा होगा ? नौकरशाहों की कार्यसंस्कृति सवालिया निशान खड़ा करती है। गरीब को आवास उपलब्ध कराना आैर गुणवत्तापरक आवास का होना.... यह किसी चुनौती से कम नहीं। आवास भी पर्यावरणीय, सुरक्षित एवं गुणवत्तापरक होंगे। भरोसा तो देश के प्रधानमंत्री यही दिला रहे हैं। यह आवास मंहगे भी नहीं होंगे बल्कि अत्यंत निम्नदर पर उपलब्ध होंगे।

जी हां, आवास की लागत भले ही कुछ हो लेकिन लाभार्थी को डेढ लाख से एक लाख पचास हजार में उपलब्ध होंगे। लाभार्थी चाहे तो आवास के लिए ऋण भी ले सकेगा क्योंकि योजना के तहत सत्तर हजार ऋण का भी प्रावधान किया गया है। विशेषज्ञों की मानें तो अब तक दो सौ डिजाइन तैयार किये जा चुके हैं। लक्ष्य भी मार्च 2019 तक एक करोड़ आवास तैयार करने का है। गरीब को मिलने वाले इन आवास में रसोई, बिजली का कनेक्शन, एलपीजी, स्नानघर, शौचालय आदि सहित सभी आवश्यक आवश्यकताओं की प्रतिपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी।

भारत सरकार का मिशन '2022 तक सभी को आवास" है। ग्रामीण विकास मंत्रालय की मानें तो 2022 तक देश में तीन करोड़ आवास बनाने का लक्ष्य है। इसके लिए बाकायदा 81975 करोड़ की धनराशि का प्रावधान बजट में किया गया है। लागत में प्रांत सरकारों को भी सहयोग करना होगा। केन्द्र सरकार का अंशदान 60 प्रतिशत तो प्रांत सरकार का अंशदान 40 प्रतिशत होगा। पहाड़ी क्षेत्रों में भारत सरकार का अंशदान 90 प्रतिशत होगा तो प्रांत सरकार का अंशदान सिर्फ 10 प्रतिशत ही रहेगा। आवास का क्षेत्रफल बीस से पच्चीस वर्गमीटर तय किया गया है।

भारत सरकार की कोशिश होगी कि 2022 तक पांच करोड़ आवास तैयार करे। हालांकि प्रधानमंत्री के इस मिशन में गुणवत्ता से लेकर पर्यावरणीय परिवेश सहित कई चुनौतियां सामने होंगी। तो वहीं गरीब या ग्रामीण के सामने भी कम  चुनौतियां नहीं होंगी। आवास पात्रता के आधार पर उपलब्ध होंगे। आय से लेकर जाति प्रमाण पत्र व अन्य आैपचारिकतायें पूरी करना गरीब के लिए मुश्किल होगा। ऐसा नहीं है कि किसी गरीब एवं ग्रामीण को आवासीय लाभ नहीं मिलेगा लेकिन बहुसंख्यक गरीब-ग्रामीण इस लाभ से वंचित रहेंगे।                          प्रकाशन तिथि 21.11.2016

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