अब सड़कें बनेंगी चार्जर दौड़ेगे इलेक्ट्रिक वाहन
देश में मंहगाई के तीखे झटके अक्सर गांव-गिरावं से लेकर मेगासिटीज के बाशिंदों को लगते रहते हैं। खास तौर से देखा जाये तो पेट्रोल व डीजल की कीमतों में दो साल में एक दर्जन बार इजाफा हुआ। हालांकि इसके बावजूद देश में पेट्रोल व डीजल चलित वाहनों की संख्या में कोई कमी नहीं आयी। पेट्रोल व डीजल की कीमतों में इजाफा होने से वाहनों के संचालक व चालक कुछ तनाव में अवश्य आ जाते हैं। आटोमोबाइल इण्डस्ट्री के इंजीनियर्स ने पेट्रोल व डीजल की खपत से निजात दिलाने के लिए बैटरी-इलेक्ट्रिक चलित वाहनों की श्रंखला इजाद की। देश में बैटरी-इलेक्ट्रिक चलित वाहन सड़कों पर दौड़ने भी लगे। ऐसे वाहन चालकों के सामने एक बड़ी समस्या है कि यदि यात्रा के दौरान बैटरी डिस्चार्ज हो गयी तो समझो एक बड़ी मुसीबत सामने आ गयी। टेक्नॉलॉजी पर भरोसा करें तो भविष्य में इन दिक्कतों से वाहन चालकों को छुटकारा मिल सकेगा। दक्षिण कोरिया के इंजीनियर्स ने इलेक्ट्रिक टेक्नॉलॉजी से युक्त एक सड़क इजाद की है।
दक्षिण कोरिया की यह सड़क उपर से गुजरने वाले वाहनों को रिचार्ज करती है। हालांकि इलेक्ट्रिक टेक्नॉलॉजी वाली यह सड़क फिलहाल बारह किलोमीटर लम्बी बनायी गयी है लेकिन भविष्य में इसे अपेक्षित विस्तार दिया जायेगा। इंजीनियर्स मानते हैं कि दक्षिण कोरिया की यह इलेक्ट्रिक सड़क देश-दुनिया की रिचार्ज सिस्टम वाली पहली सड़क है। खास बात यह है कि वाहन को रिचार्र्ज करने के लिए सड़क पर कहीं रुकने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि टेक्नॉलॉजी का सम्पूर्ण सिस्टम सड़क के अन्दर संचालित होता है। फिलहाल अभी इस सड़क पर दो सार्वजनिक बसों का संचालन किया जा रहा है। विशेषज्ञों की मानें तो दो वर्ष की अवधि में इस सड़क पर दस आैर बसों को चलाया जायेगा। टेक्नॉलॉजी के इस सिस्टम को कोरिया की कोरिया एडवांस इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एण्ड टेक्नॉलॉजी के विशेषज्ञों ने तैयार किया है।
हालांकि यह टेक्नॉलॉजी काफी खर्चीली व महंगी है लेकिन बैटरी-इलेक्ट्रिक चलित वाहन चालकों के लिए बेहद सहूलियत वाली है। इस टेक्नॉलॉजी से वाहनों से होने वाले वायु प्रदूषण को काफी हद तक रोका जा सकता है। विशेषज्ञों की मानें तो सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था में इस टेक्नॉलॉजी की भारी संभावनाएं हैं। इससे जन स्वास्थ्य को भी कोई खतरा नहीं है। इस टेक्नॉलॉजी में बिजली के तारों को सड़क के नीचे सिस्टमेटिक तौर-तरीके से लगाया गया है। इसमें उपकरण भी लगाये गये हैं। यह सिस्टम विद्युत की चुम्बकीय धारा प्रवाहित करता है। वाहन के चार्ज होने वाले उपकरण को सड़क से कुछ अंतराल पर वाहन में स्थापित किया जाता है।
विशेषज्ञों की मानें तो इस सिस्टम के लिए पूरी सड़क न तो खोदने की आवश्यकता है आैर न पूरी सड़क में सिस्टम को लगाया जाता है। सिस्टम की पॉवर स्ट्रिप को सड़क के पांच से पन्द्रह प्रतिशत हिस्से में ही लगाया जाता है। हालांकि दक्षिण कोरिया की इस टेक्नॉलॉजी से पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता भी कम होगी तो वहीं वायु प्रदूषण भी कम होगा। वाहन चालकों को तो सहूलियत रहेगी ही। इतना जरुर है कि इस टेक्नॉलॉजी से युक्त सड़कों के रखरखाव पर खास-विशेष ध्यान रखना पड़ेगा जिससे वाहन स्मूथली अपनी रफ्तार को कायम रख सकें। फिलहाल दक्षिण कोरिया के सार्वजनिक वाहन चालकों के लिए एक बड़ी खुशखबरी तो है ही। हालांकि इस टेक्नॉलॉजी को अपनाने में देश-दुनिया को अभी लम्बा वक्त लगेगा।
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