वायु मण्डल का जहरीलापन कहीं जान न ले ले
'इच्छाशिक्त" हो तो कोई भी मिशन-लक्ष्य नामुमकिन नहीं। बात चाहे सुरक्षा की हो या स्वास्थ्य की हो। देश व समाज सब कुछ व्यवस्थित रहे, व्यवस्थित चले। इसके लिए कानून भी बनते हैं आैर व्यवस्थायें भी तय की जाती हैं लेकिन इच्छाशक्ति के बिना न कोई कानून सार्थक-कारगर दिखता है आैर न व्यवस्थायें ही आयाम लेते दिखती हैं। देश में चौतरफा साफ सफाई के लिए स्वच्छता अभियान चल रहा है। नेता-अभिनेता, छोटे-बड़े सभी व्यक्तित्वों ने हाथों में झाड़ू उठा ली।
गली-गलियारों में झाडू़ लगाने निकल पड़े। अब एक बड़ा सवाल उठता है कि कूड़ा का प्रबंधन कैसे किया जायेगा क्योंकि कूड़ा कहीं न कहीं फेंका-डाला जायेगा। जाहिर सी बात है कि कूड़ा कहीं भी होगा तो सड़ेगा। दुर्गन्ध होगी-संक्रमण फैलेगा। बीमारियां फैलेंगी। शासन-सत्ता से लेकर नीति-नियंताओं से लेकर समाज के हर खास-ओ-आम आदमी को चिंतन करना होगा। चिंतन भी केवल नीति निर्धारण तक सीमित न रहे क्योंकि देश-दुनिया में अनेक कानून-व्यवस्थायें बनती हैं किन्तु जब तक इच्छाशक्ति न होगी, तब तक कोई भी कानून या व्यवस्था बलवती नहीं हो सकती।
उच्चतम न्यायालय की व्यवस्थायें हैं कि कूड़ा करकट व गंदगी को किसी भी दशा में जलाया न जाये। शासन-सत्ता ने व्यवस्था के लिए आदेश भी जारी किये। शहरी क्षेत्र में कूड़ा गाड़ियां कूड़ा भर कर निकलें तो कूड़ा के उपर तिरपाल या अन्य किसी प्रकार से उसे ढ़क कर निकालना चाहिए। कानून भी हैं आैर व्यवस्थायें भी हैं लेकिन इन पर अमल नहीं दिखता। देश में साफ सफाई के लिए झाड़ू लग रही है। अच्छी बात है। स्वच्छता आदत में शामिल होनी चाहिए। देश-दुनिया में सालाना दो अरब टन से अधिक कूड़ा-कचरा निकलता है। अफसोस, इसका चालीस प्रतिशत कूड़ा जला दिया जाता है। कूड़ा जलने-जलाने से वायु मण्डल जहरीला होता है क्योंकि कूड़ा करकट व गंदगी में पॉलीथिन व इलेक्ट्रानिक कचरा सहित अनेक रसायनिक खतरनाक तत्व होते हैं, जो जलने से वायु मण्डल को जहरीला बनाते हैं।
विशेषज्ञों की मानें तो दुनिया में कूड़ा कचरा जलाने की आदत में भारत व चीन काफी आगे है। कूड़ा जलाने की आदत से बचना चाहिए क्योंकि इससे हमारा भी स्वास्थ्य प्रभावित होता है। कारण कचरा जलने से कार्बन डायआक्साइड व कार्बन मोनो डायआक्साइड जैसी खतरनाक गैसों का उत्सर्जन होता है। इसके सूक्ष्म कण वायु मण्डल में घुल कर श्वांस के जरिये शरीर में पहंुच जाते हैं। इससे संक्रमण व बीमारियों का खतरा बढ़ता है। लिहाजा कम से कम कूड़ा कचरा जलने-जलाने से बचना चाहिए जिससे वायु मण्डल जहरीला होने से बच सके क्योंकि वायु मण्डल के नफा-नुकसान देश के बाशिंदों को मिलेंगे। इन स्थितियों से बचने के लिए वायु मण्डल को तो जहरीला न होने दें। स्वच्छता अभियान के साथ ही देश व समाज को इस पर चिंतन-विचार-विमर्श करना चाहिए। हम सुधरेंगे-जग सुधरेगा। हम बदलेंगे-जग बदलेगा। इस चिंतन-सोच से परिवेश को एक सार्थक दिशा मिलेगी।
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