Thursday, 15 December 2016


भूख से गरीब बेहाल
अरबों का भोजन बर्बाद
एक दशक में दो लाख से अधिक लोग भूख से मरे

        'कॉमनमैन" की शक्ति-पॉवर को कम नहीं आंकना चाहिए क्योंकि 'कॉमनमैन" ही देश-दुनिया में इंकलाब लाता है। चाहे सिल्वर स्क्रीन की फिल्म 'चेन्नई एक्सप्रेस" का डॉयलॉग 'डोंट अण्डर स्टीमेट द पॉवर ऑफ कॉमनमैन" हो या किसी राजनीतिक मंच से 'आम आदमी" की बात की जा रही हो। राजनीतिक मंच हो या फिर सिल्वर स्क्रीन की फिल्म हो.... 'कॉमनमैन" के लिए 'डॉयलॉग" तो अच्छा लगता है।

 फिल्म के दर्शक हों या फिर राजनीतिक मंच के श्रोता हों.... तालियां खूब बजाते हैं.... वाह-वाह भी खूब होती है लेकिन अफसोस 'कॉमनमैन" की दशा-दिशा से समाज से लेकर सरकार तक सभी बेपरवाह दिखते हैं क्योंकि यदि समाज-सरकार की बेपरवाही न होती तो देश-दुनिया में करोड़ों बाशिंदे भूखे या आधे पेट खाना खाकर न सोते। राजनीतिक गलियारों के विशेषज्ञों की मानें तो देश में दस वर्ष के दौरान पांच लाख बाशिंदे भूख से मर गये। अब सरकार की नजर से देखें तो भी दस वर्ष में 2.10 लाख लोग भूख से मर गये। भारत भले ही दुनिया में तीसरी महाशक्ति के तौर पर उभरा हो लेकिन हकीकत यह है कि भारत ने भुखमरी में पाकिस्तान व श्रीलंका को भी पीछे छोड़ दिया। विशेषज्ञों की मानें तो देश का 44 प्रतिशत बचपन भुखमरी का शिकार है।

ऐसा नहीं है कि देश-दुनिया में खाद्यान्न का कहीं कोई गंभीर संकट खड़ा है जिससे आबादी को खाना नहीं मिल रहा है। हालात यह हैं कि दुनिया में सालाना एक अरब तीस टन भोजन-खाना बर्बाद हो जाता है। देश में ही 50 से 60 करोड़ धनराशि का खाना सालाना बर्बाद चला जाता है। अब आप अनुमान लगा सकते हैं कि बर्बाद होने वाले खाने से कितने लोगों का खाली पेट भरा जा सकता है। भूख से होने वाली मौतों को रोका जा सकता है। हालांकि दिल्ली में 'इण्डिया फूड बैंकिंग नेटवर्क" शुरू किया गया है लेकिन इसकी सार्थकता तो तभी है, जब भूख से तड़पते-मरते गरीब का पेट भरा जा सके। अब विशेषज्ञों की मानें तो शादी, विवाह, साामाजिक कार्यक्रमों की दावतों में पन्द्रह से बीस प्रतिशत खाना बर्बाद हो जाता है। खाना-भोजन की इस बर्बादी को रोका जा सकता है।

 एक बेहतर नेटवर्किंग के जरिये बर्बाद होने वाले खाना से गरीब-मजदूर-लावारिस, बेसहारा, बच्चों-बड़ों-बूढ़ों का पेट भरा जा सकता है। इससे भूख से होने वाली मौतों को रोका जा सकता है। हालांकि मौत होने पर तर्क दिया जाता है कि गर्मी में मौत लू लगने से हो गयी तो सर्दी में तर्क दिया जाता है कि मौत सर्दी लगने से हो गयी लेकिन चिकित्सा वैज्ञानिकों की मानें तो सर्दी हो या गर्मी खाली पेट होने पर लू भी लगेगी आैर सर्दी भी लगेगी, जिससे मौत भी हो सकती है।  साफ जाहिर है कि मौतें भूख से होती है लेकिन उत्तरदायित्व से बचने के लिए तर्क तो दिये ही जा सकते है। अफसोस भूख से होने वाली मौत को रोकने के लिए अभी तक कोई भी सार्थक उपाय नहीं किये गये।

हालांकि भोजन की बर्बादी को रोक कर कुपोषण व भूख से होने वाली मौतों को रोका जा सकता है। भूख से होने वाली मौतों को रोका नहीं जा सकता तो कम से कम इसे न्यूनतम अवश्य किया जा सकता है। आवश्यक है कि फूड़ बैंक की ऐसी व्यवस्था बने जो शादी-विवाह व अन्य सार्वजनिक समारोह की दावतों में बर्बाद होने वाले भोजन को बर्बाद होने से बचा सके। इसके लिए एक संचार संसाधनों से युक्त बेहतर नेटवर्क बनना चाहिए। शादी-विवाह, सार्वजनिक समारोह की दावतों का भोजन बचने की सूचना समय से फूड़ बैंक को दी जाये जिससे फूड़ बैंक उसे संग्रहित कर संरक्षित कर ले। फूड़ बैंक में व्यवस्थित स्टोर्स हों, जहां भोजन को खराब होने से बचाया जा सके। इन फूड़ स्टोर्स से जरुरतमंदों को भोजन उपलब्ध कराया जाना सुनिश्चित किया जाये। इससे भोजन की बर्बादी भी रुकेगी आैर जरुरतमंद व्यक्ति-परिवारों तक भोजन पहंुच सकेगा।

                          



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