Tuesday, 17 January 2017

उर्दू सभी भारतीयों की सांस्कृतिक विरासत है: वेंकैया नायडू


           केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि जो छात्र भविष्य में पत्रकार बनने की महत्वकांक्षा रखते हैं उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि खबरों और विचारों का मिश्रण ना हो। उन्होंने कहा कि लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रत्येक नवोदित युवा पत्रकार को खुले दिमाग से अधिकतम ज्ञान प्राप्त कर एक घटना को सही तरीके से पेश करना चाहिए।  

          उन्होंने छात्रों से नवीनतम घटनाओं, नई प्रौद्योगिकी और संचार के नए तरीकों के साथ बराबर अपडेट रहने का आग्रह करते हुए कहा कि छात्रों को प्रासंगिक और प्रभावी विषयों को पढ़ने की आदत विकसित करनी चाहिए। उन्होंने आईआईएमसी से सभी भारतीय भाषाओं में पत्रकारिता पाठ्यक्रम शुरू करने का प्रयास करने का आह्वान किया ताकि देश भर में सभी नागरिकों के संचार जरूरतों को पूरा किया जा सके। मंत्री ने यह बात आज शास्त्री भवन में उर्दू पत्रकारिता में प्रथम पीजी डिप्लोमा पाठ्यक्रम, विकास पत्रकारिता में 67वें डिप्लोमा पाठ्यक्रम का शुभारंभ करने तथा आईआईएमसी पत्रिका "कम्युनिकेटर' का विमोचन करने के अवसर पर कही। 

            संचार में बदलते स्वरूपों के बारे में बात करते हुए मंत्री ने कहा कि सोशल मीडिया ने संचार में समय और स्थान की बाधाओं को तोड़ दिया है। नवोदित पत्रकारों से अपेक्षा की जाती है कि वे सोशल मीडिया पर स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर जनता की राय पर ध्यानपूर्वक नजर रखें। प्रशिक्षण पद्धति पर जोर देते हुए नायडू ने कहा कि वर्तमान परिदृश्य में यह महत्वपूर्ण है कि सीखने, अभ्यास करने तथा नई अवधारणाओं को लागू करने के लिए पाठ्यक्रम के एक भाग के रूप में मामलों का अध्ययन और व्यावहारिक अनुभव को शामिल करना जरूरी है। 

             उर्दू पत्रकारिता में नए पीजी डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू करने पर आईआईएमसी की सराहना करते हुए नायडू ने कहा कि उर्दू पत्रकारिता मीडिया और हमारे देश के संचार व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण अंग है जिसने स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मंत्री ने मौलाना आजाद के अखबार अल-हिलाल की प्रशंसा करते हुए कहा कि इसने स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के दौरान भारतीय राष्ट्रवाद के समावेशी आदर्शों को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

             भारतीय युवाओं के बीच नकीब-ए-हमदर्द, प्रताप, मिलाप, कौमी आवाज़, जमींदार, हिंदुस्तान जैसे अखबारों द्वारा राष्ट्रवाद के आदर्शों के प्रसार में निभाई गयी महत्वपूर्ण भूमिका पर भी प्रकाश डाला। आईआईएमसी की पत्रिका "कम्युनिकेटर' को फिर से शुरू करने के बारे में मंत्री ने कहा कि पत्रिका शिक्षाविदों, अनुसंधान विद्वानों, और मीडिया विश्लेषको को अपने लेख प्रकाशित करने के लिए एक मंच प्रदान करेगी। 'कम्युनिकेटर' पत्रिका जन संचार की सबसे पुरानी पत्रिकाओं में से एक है जिसका प्रकाशन 1965 में किया गया था। 

            इसे 1965 में त्रैमासिक पत्रिका के रूप में शुरू किया था और बाद में एक वार्षिक प्रकाशन बना दिया गया था। 67 वें विकास पत्रकारिता पाठ्यक्रम का उद्घाटन करते हुए मंत्री ने कहा कि भारत आज दुनिया में ज्ञान केंद्र का पुराना गौरव फिर से हासिल कर रहा है। विकास पत्रकारिता पाठ्यक्रम एक-दूसरे की संस्कृति को समझने का अवसर प्रदान करेगा और आपसी मित्रता को और गहरा करेगा।

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