बदलता भारत : जलधारा में शिक्षा व स्वास्थ्य सेवायें
बदलता भारत अब कोई कोरी कल्पना नहीं। जी हां, देश में नित नये आयाम बन-बिगड़ रहे। कहीं जल यातायात प्रबंधन का खाका खिंच रहा है तो कहीं मेट्रो का नेटवर्क तैयार करने की कोशिशें आयाम लेती दिख रहीं।
जर्मन हो या सिंगापुर या फिर थाईलैण्ड नदियों व जलाशयों में सैर-सपाटा से लेकर जल यातायात की खूबियां खास तौर से दिख जाती हैं। मौज-मस्ती व सैर-सपाटा के साथ जब जीवन की आवश्यकताओं की भी पूर्ति होने लगे तो सामाजिक सरोकार व विकास की गंगधारा दिखने लगती है। भारत में नदियों की लम्बी श्रंखलाएं हैं। देश में गंगा, यमुना व कावेरी सहित सैकड़ों बड़ी नदियों की श्रंखला देश में है तो वहीं वरुणा, असि, पाण्डु सहित हजारों छोटी नदियों की लम्बी श्रंखला का संजाल देश में फैला हुआ है। जर्मन हो या दुबई या फिर सिंगापुर जलधारा में तैरते आलीशान हाउस वोट मिल जायेंगे तो वहीं नौकायन का लुफ्त उठाने के लिए सुविधा सम्पन्न नौकाओं का संजाल भी मिलेगा।
दुनिया की तरह अब देश में जल संसाधनों का अपेक्षित उपयोग करने की कोशिशें सार्थक आयाम लेते दिख रही हैं। कोई बड़ी बात नहीं कि शीघ्र ही नदियों में चलते फिरते विद्यालय दिखें आैर फ्लोटिंग हास्पिटल भी मिलें। विशेषज्ञों की फौज जल प्रबंधन-जल संसाधनों का अपेक्षित उपयोग करने आैर उसमें उपयोग में आने वाले संसाधनों का विकास करने की नीति-रीति व रणनीति पर शोध से लेकर योजनायें आकार ले रही हैं। दक्षिण भारत के बाद अब उत्तर भारत में वाटर टैक्सी चलाने की कोशिशें हो रही हैं।
विशेषज्ञों की कोशिश है कि काशी-बनारस की गंगधारा में वाटर टैक्सी चलें। समुद्रा संकट मोचन ने भारत सरकार के सामने इसका प्रस्ताव रखा है। इस प्रस्ताव में वाटर टैक्सी नेटवर्क बनाने की वकालत की गयी है। समुद्रा संकट मोचन ने फ्लोटिंग स्कूल व फ्लोटिंग हास्पिटल का डिजाइन भी तैयार किया है। संकट मोचन फाउण्डेशन के अध्यक्ष प्रोफेसर विश्वम्भर नाथ मिश्र व समुद्रा शिपयार्ड के सीईओ डा. एस. जीवन की मानें तो फ्लोटिंग स्कूल व फ्लोटिंग हास्पिटल का कांसेप्ट देश में पहली बार लाया गया है। इस कांसेप्ट को भारत सरकार के विलेज हेल्थ मिशन ने अपनी सैद्धांतिक सहमति भी दे दी है। समुद्रा शिपयार्ड के सीईओ डा. एस जीवन का कथन है गंगा नदी के किनारे बसे इलाकों में शिक्षा व स्वास्थ्य सहूलियतों की दिक्कतें रहती हैं। समुद्रा शिपयार्ड ने फ्लोटिंग स्कूल व फ्लोटिंग हास्पिटल डिजाइन किया है। भारत सरकार जल परिवहन को प्रोत्साहित कर रही है।
यह प्रस्ताव भारत सरकार के सामने रखा है। फ्लोटिंग स्कूल की लागत 1.22 करोड़ से 1.25 करोड़ आयेगी तो वहीं फ्लोटिंग हास्पिटल की लागत दो करोड़ के आसपास होगी। इस व्यवस्था से गंगा नदी से जुड़े ग्रामीण इलाकों के बाशिंदे व बच्चों को लाभ मिलेगा। फ्लोटिंग स्कूल में चार कक्ष होंगे तो वहीं फ्लोटिंग हास्पिटल में चिकित्सा संबंधी सभी आवश्यकताओं की पूर्ति होगी। हास्पिटल में सात से दस कक्ष होंगे तो वहीं 15 बेड़ होंगे। इलाहाबाद से लेकर हल्दिया तक एक बेहतर जल मार्ग भी दिखता है। जिससे इस इलााके में चाहे फ्लोटिंग स्कूल हो या फिर फ्लोटिंग हास्पिटल, सभी आवश्यक स्फूर्त चलेंगे। समुद्रा शिपयार्ड के सीईओ डा. एस जीवन ने बताया कि वाटर टैक्सी की लागत 65 से 70 लाख आयेगी जबकि हाउस बोट बनाने में 1.12 करोड़ धनराशि का खर्च आयेगी।
इलाहाबाद से काशी-बनारस व आसपास के इलाकों में वाटर टैक्सी का संंचालन आसानी से किया जा सकता है। अब जल क्रीडा की बात करें या मौज मस्ती की बात करें तो मौसम कोई भी हो, जल क्रीड़ा-जल यातायात के मजे ही कुछ आैर होते हैं। जर्मन को जानना हो या सिंगापुर-थाईलैण्ड में सैरसपाटा करना हो तो जल यातायात का आनन्द लें।
जर्मन में राइन सहित करीब आधा दर्जन नदियों की शानदार जल श्रंखला है। यह नदियां जल यातायात की एक बेहतरीन श्रंखला व कड़ी हैं। अधिसंख्य बाशिंदे जल यातायात का उपयोग करते हैं तो वहीं जलक्रीडा का आनन्द भी लेते हैं। करीब सात हजार किलोमीटर लम्बी नदियों की इस श्रंखला से सम्पूर्ण जर्मन के खास-खास इलाकों के दर्शन किये जा सकते हैं। इसी तरह से सिंगापुर में वॉटर पार्कों की बहुतायत है। सिंगापुर में जलधाराओं को मनोरंजन के साथ साथ यातायात के रूप में भी उपयोग किया जाता है। देश में भी जल यातायात के नये आयाम की खोज-बीन हो रही है। हालांकि ऐसा नहीं है कि देश में जल पार्कों, जल यातायात व नदियों की कहीं कोई कमी है। वैसे देखें तो जर्मन की तुलना में देश में कहीं अधिक लम्बे जल यातायात की व्यवस्थायें दिखती हैं।
जल यातायात में घूमने-फिरने का भी आनन्द है आैर सफर भी आसान रहता है क्योंकि जल यातायात में कहीं कोई ट्रैफिक जाम का संकट नहीं होता। इसके साथ ही जल परिवहन व्यवस्था पर्यावरण के काफी कुछ अनुुकूल भी होती है। विशेषज्ञों की मानें तो देश में चौदह हजार पांच सौ किलोमीटर लम्बी जल परिवहन की व्यवस्थायें हैं। जल परिवहन की यह व्यवस्थायें खास तौर यात्रियों के आवागमन के साथ साथ माल ढ़ोने का काम भी जल क्षेत्र से होता है। जल परिवहन की व्यवस्थाओं वाले क्षेत्रों में खास तौर से असम, बिहार, पश्चिम बंगाल, मुम्बई, गोवा व केरल आदि इलाके खास तौर से माने जाते हैं। दक्षिण भारत में केरल सहित कई इलाकों में नौकायन के मजे लिये जा सकते हैं। इन इलाकों में नौकाओं की दौड़-प्रतियोगिताओं के आयोजन भी अक्सर होते रहते हैं।
देश की बड़ी नदियों में सुमार होने वाली ब्राह्मपुत्र में भी सादिया से घाबरी तक करीब नौ सौ किलोमीटर लम्बी जल परिवहन व्यवस्था है। इसी तरह से दक्षिण भारत में कोल्लम से कोट्टापुरम तक करीब दो सौ पांच किलोमीटर लम्बा जल परिवहन क्षेत्र है। भारत सरकार जल परिवहन व्यवस्थाओं को एक नया आयाम देने पर विमर्श-मंथन कर रही है। जिससे जल परिवहन व्यवस्थाओं को विस्तार दिया जा सके। उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद से हल्दिया तक गंगा नदी में करीब 1620 किलोमीटर लम्बा जल परिवहन मार्ग विकसित होने की संभावना है। इससे एक बार फिर गंगा की गोद में जल तरंगों का भरपूर आनन्द ले सकेंगे।
देश-दुनिया के लाखों पर्यटक गंगा में नौकायन का आनन्द-लुफ्त उठाने सालों-साल से आते रहते हैं। नोएड़ा हो या लखनऊ, देश के सभी बड़े शहरों में वॉटर पार्कों में जलक्रीड़ा का आनन्द लिया जा सकता है।
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